Tenaliram Ki Kahaniyan: एक बार महाराज (maharaj) के कानों तक चेलाराम के एक व्यक्ति के बारे में कुछ लोगों की बातें पहुंची। सब लोग बोलते थे कि जो कोई भी चेलाराम (Chellaram) का मुंह देख लेता है उसे पूरे दिन खाना नसीब नहीं होता था। महराज (maharaj) को यह बात सुनकर बहुत ही आश्चर्य हुआ और उन्होंने सोचा कि क्यों ना इसकी परख की जाये। महराज (maharaj) ने ऐसा करने के लिए चेलाराम को अपने दरबार में बुलवा लिया।
- महाराज ने चेलाराम को बुलवाया (Tenaliram Ki Kahaniyan)
- महाराज को भी पूरे दिन नही मिला भोजन (Maharaj did not get food the whole day)
- महराजा को भी हो गया यकीन (Maharaja was convinced)
- फांसी पर लटकाने का हुक्म (order to hang)
- चेलाराम ने बताई अपनी आखिरी इच्छा (Chellaram told his last wish)
- चेलाराम की फांसी रुकवा दी गई (Chellaram’s execution was stopped)
- निष्कर्ष (conclusion)
महाराज ने चेलाराम को बुलवाया (Tenaliram Ki Kahaniyan)
इस बात में कितनी सच्चाई है इसको परखने के लिए महाराज ने चेलाराम को अपने सामने वाले कक्ष में ही ठहरने को कहा। महराजा ने चेलाराम के लिए सैनिकों को बोलकर पूरी व्यवस्था करने के लिए कहा। चेलाराम को महल में बिल्कुल राजा-महराजाओं की तरह रखा जाने लगा। सभी को उसकी देखभाल करने के लिए कहा गया। महराज ने इस दौरान चेलाराम पर पैनी नजर बनाए रखा।
महाराज को भी पूरे दिन नही मिला भोजन (Maharaj did not get food the whole day)
महराज ने चेलाराम को अपने सामने वाले कक्ष में ठहराया और उस पर निगरानी रखी। चेलाराम महल में आकर बहुत खुश था। उसे राजसी भोग भोगने में बड़ा ही मज़ा आ रहा था। एक दिन महाराज की नींद अचानक से खुल गई। इसके बाद महराज ने देखा कि चेलाराम अपने कक्ष के झरोखे में खड़ा था। अगले दिन कुछ ऐसा हुआ कि महराजा को पूरे दिन खाना नहीं मिल सका।
![Tenaliram Ki Kahaniyan](http://www.tenaliraman.com/wp-content/uploads/2023/09/2-9.jpg)
महराजा को भी हो गया यकीन (Maharaja was convinced)
लोगों की बातों पर अब महराज को भी यकीन हो गया था। उन्हें लगा कि वह सुबह चेलाराम की सूरत देख चुके थे और यही कारण था कि उन्हें आज पूरा दिन खाना नसीब नहीं हुआ। यह सोचकर महराज को बहुत गुस्सा आ रहा था। वो चेलाराम के प्रति अपने गुस्से को जाहिर करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों को चेलाराम को कक्ष से बाहर लाने का आदेश दे दिया।
फांसी पर लटकाने का हुक्म (order to hang)
महाराज ने गुस्से में सैनिकों को बुलवाकर चेलाराम को अगले दिन फांसी पर लटकाने का हुक्म सुना डाला। वही यह खबर सुनकर बेचारे चेलाराम काफी मायूस हो गया। उसे समझ में ही नहीं आया कि आखिर उसके साथ अचानक ये सब क्या हो रहा है। इतने में चेलाराम के पास तेनालीराम पहुंचा और उसने कहा कि अब मैं जैसा बोलता हूं, तुम ठीक वैसा ही करना।
![Tenaliram Ki Kahaniyan](http://www.tenaliraman.com/wp-content/uploads/2023/09/1-12.jpg)
चेलाराम ने बताई अपनी आखिरी इच्छा (Chellaram told his last wish)
चेलाराम ने कहा कि फांसी पर लटकने से पहले वह नगर के लोगों से कुछ कहना चाहता है। अगले दिन चेलाराम की अंतिम इच्छा के अनुसार नगर में सभा बुलाई गई। सब लोगों के सामने आकर चेलाराम बोला भाईयो मेरा चेहरा देखने से तो लोगों को खाना नसीब नहीं होता लेकिन जो कोई महाराज का मुंह देख लेता हैं उसे तो सीधे मौत मिलती है …..मौत। ये सुनकर सभी लोग हैरान रह गए और महराज भी सोच में पड़ गए।
Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘अंगूठी चोर’
चेलाराम की फांसी रुकवा दी गई (Chellaram’s execution was stopped)
तेनालीराम के कहे अनुसार चेलाराम ने अपनी बात प्रजा तक पहुंचाई। ऐसे में महराज ने उसकी फांसी रुकवा दी। महराज ने तुरंत फांसी रुकवा दी और चेलाराम से पूछा कि तुमने ये सब किसके कहने पर बोला। चेलाराम बोला कि महाराज तेनालीराम के सिवा ये कौन बता सकता है। मैंने ये सब तेनालीराम के केहने पर बोला था। तेनालीराम की चतुराई ने एक बार फिर महराज का दिल जीत लिया।
![Tenaliram Ki Kahaniyan](http://www.tenaliraman.com/wp-content/uploads/2023/09/3-7.jpg)
निष्कर्ष (conclusion)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लोगों की सुनी-सुनाई बातों पर किसी के प्रति कोई विचार नहीं बनानी चाहिए। ऐसा करने से सामने वाले इंसान को ठेस पहुंच सकता है। बिना किसी सबूत और गवाह के किसी को दोषी मान लेना गलत बात होती है।