Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘बिल्ली का पंजा’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘बिल्ली का पंजा’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: एक बार चार मित्रों (friends) ने मिल कर कपास का व्यापार (cotton trade) शुरू किया। उन्होंने कपास (cotton trade) की गांठें एक गोदाम (warehouse) में इकट्ठी कर लीं। लेकिन वहां एक भारी समस्या (huge problem) थी। उस गोदाम में बहुत से चूहे (mice) यहां-वहां भागते रहते थे। इस समस्या से छुटकारा (get rid of the problem) पाने के लिए वे एक बिल्ली (Cat) ले आए।

बिल्ली तो बहुत ही चंचल और शरारती थी। सारा दिन यहां से वहां उछलती-कूदती रहती थी। उन्होंने उस बिल्ली को प्यार से म्याऊं बुलाना शुरू कर दिया। फिर उन्होंने तय किया कि वे बिल्ली के चारों पंजों के लिए घुंघरू ले आएंगे और उसके पैरों में बांध देंगे। जब वह दौड़ेगी तो उसके पैरों से बड़ी मीठी आवाज आया करेगी। वे चारों आपस में पैसे मिला कर उसके लिए घुंघरू ले आए।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

उन्होंने बिल्ली के प्रत्येक पंजे में घुघरू बांध दिए म्याऊं ने जब अपने पैरों में घुंघरू की आवाज सुनी तो पहले वह घबरा गई। उसे पता नहीं चल रहा था कि वह आवाज कहां से आ रही है। फिर वह उस आवाज की आदी हो गई। बिल्ली चूहों को पकड़ने के लिए कपास की गांठों में भागती रहती और उसके भागने से घुंघरुओं की आवाज आती रहती थी। जिसे सुन कर वे मित्र भी खुश हो जाते थे।

एक दिन, जब बिल्ली कुछ चूहों का शिकार कर रही थी तो अचानक उसका पैर कपास की गांठ से फिसल गया और उसके एक पंजे में चोट आई। सभी मित्र बिल्ली की बहुत चिंता करते थे। उन्होंने जल्दी से उसके पंजे में दवा लगाई और उस पर एक पट्टी भी बांध दी। बिल्ली ने गोदाम में चूहों को पकड़ने का काम जारी रखा और वह यहां-वहां भागती रही। वह जैसे-जैसे ऊपर-नीचे कूदती या उछलती, उसके पंजे में बंधी पट्टी ढीली होती गई और आखिर में आ कर लटकने लगी। बदकिस्मती से, बिल्ली एक लालटेन से टकरा गई और उसकी पट्टी में आग लग गई।

बिल्ली आग से बचने के लिए घबरा कर यहां-वहां भागने लगी और उसके ऐसा करने से कपास की गांठों ने आग पकड़ ली। देखते ही देखते सारे गोदाम में आग लग गई और सारी की सारी कपास जल कर राख हो गई। चारों मित्र अपने व्यापार को इस प्रकार तहस-नहस हुआ देखकर बहुत दुःखी हो गए। कुछ ही देर में, उनमें आपस में झगड़ा शुरू हो गया।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तीन मित्रों ने मिल कर चौथे मित्र पर इल्जाम लगाया, “यह सब तुम्हारे हिस्से के उस पंजे के कारण हुआ है जिसमें तुमने पट्टी बांधी थी। उसी घायल पंजे के कारण आग लगी। अब तुम्हें ही इस नुकसान का हर्जाना भरना होगा। ” ” अरे बेवकूफो। तुम अच्छी तरह से जानते हो कि यह एक दुर्घटना थी। मैं किसी भी कीमत पर यह हर्जाना भरने को तैयार नहीं हूं।”

वह व्यक्ति बोला झगड़ा बढ़ता गया और अंत में उन्होंने यह नतीजा निकाला कि क्यों न महाराज कृष्णदेव राय के राज दरबार में जा कर ही फैसला किया जाए। महाराज क तेनाली रमन पर पूरा भरोसा था। अतः उन्होंने उन्हें इस मसले को हल कर को कहा। तेनाली रमन ने ध्यान से दोनों पक्षों की बात सुनी और फिर बॉल “जिस पैर में पट्टी बंधी हुई थी, वही पैर जख्मी हुआ था।

तुम तीनों मित्रो का कहना है कि यह आग उसी के कारण लगी है। परंतु गोदाम में बाकी तीनों पैर ही उस घायल पैर को यहां-वहां ले जा रहे थे। वह तो चल नहीं पा रहा था। वे तीनों पंजे तुम्हारे हिस्से में आते हैं अत: तुम तीनों को हो हर्जाना भरना होगा। “तेनाली रमन का न्याय सुनकर महाराज के चेहरे पर मुस्कान फैल गई बेचारे तीनों मित्रों के सिर शर्म के मारे सबके सामने झुक गए क्योंकि वे अपनी चालाकी में कामयाब नहीं हो सके।

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क्या सीख मिली (Moral of The story)

ज़िंदगी के फैसले बुद्धिमानी से करने और कामयाब होने के लिए ज़रूरी है कि हमारे अंदर सही-गलत के बीच फर्क करने की काबिलीयत हो।

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