Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनाली रमन (Tenaliram) के पास तरह-तरह के किस्सों का अनूठा भंडार (unique store) था जिन्हें वे किसी भी अवसर पर सुना सकते थे। कई बार उनके किस्से ज्ञान का भंडार होते और कई बार वे केवल मजाकिया (Funny) बातें सुनाते। एक दिन वे राज्य के दूसरे कोने से हंपी वापिस आ रहे थे तेनाली रमन (Tenaliram) को रास्ते में कुछ सैनिक मिले। उन्होंने रात के लिए जंगल में डेरा डाल रखा था।
तेनाली भी उनके पास ठहर गए। उन्होंने सर्दी से बचाव के लिए आग जला रखी थी। रात गहराने लगी तो सभी सर्दी से बचाव के लिए आग के आसपास घेरा बना कर बैठ गए सभी सिपाही अपनी-अपनी बहादुरी के किस्से सुना रहे थे। हर सैनिक के पास किसी न किसी युद्ध से जुड़े रोचक किस्से थे। उन्होंने तय किया कि वे समय बिताने और मन बहलाने के लिए अपनी-अपनी बहादुरी के किस्से सुनाएंगे।
तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)
एक बूढ़े सैनिक ने बताया कि उसने एक लड़ाई के दौरान दुश्मन के दस सिपाही मार गिराए थे। फिर एक मोटे से सिपाही ने बताया कि कैसे उसकी वजह से उनकी सेना ने एक किले पर कब्जा करने में कामयाबी पाई। उसने अकेले ही सारी टुकड़ी को काबू कर लिया था। इसके बाद एक छोटे पर मजबूत काठी के सैनिक की बारी आई। उसने बताया कि किस तरह उसे दुश्मन के सिपाहियों ने पकड़ लिया था और उसे कई माह तक जेल में बंद रखा गया।
रात बढ़ती जा रही थी पर उनके किस्से खत्म होने में नहीं आ रहे थे। अंत में जब सारे सिपाही अपने मन की बात कह चुके तो उनका ध्यान तेनाली की ओर गया। तेनाली बड़े आराम से सबकी बातें सुन रहे थे। उनमें से एक सिपाही ने कहा, “ श्रीमान! हम जानते हैं कि आप कोई सिपाही नहीं हैं इसलिए आपसे तो यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि आप हमें अपनी बहादुरी का कोई किस्सा सुनाएंगे?” यह सुन कर बाकी सभी हंसने लगे।
‘अरे, भले ही मैं सिपाही नहीं हूं पर अपनी बहादुरी का किस्सा तो मैं 44 भी सुना सकता हूं।” तेनाली बोले । “तो देर किस बात की? झट से सुना दीजिए।” एक सिपाही ने कहा। “जिस तरह में आज हंपी लोट रहा हूँ ऐसे ही एक बार में हंपी वापिस आ रहा था। रात का समय था। मैंने देखा कि एक बड़ा सा तंब लगा हुआ हैं। मुझे लगा कि वहां रात बिताई जा सकती है।
मैंने आगे जा कर उसका पर्दा हिलाया और आवाज दी। वहां से किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। में और पास गया और अंदर झांका तो हैरान रह गया। वहां तो एक लंबे कद का आदमी लेटा हुआ था। आसपास कोई दिखाई नहीं दिया तो मैं थोड़ा और पास गया। तब मुझे पता चला कि वह तो एक जाना-माना डाकू था। उसने तो न जाने कितने गांवों में लूटपाट मचा कर लोगों की जान ली थीं। मैंने अपनी तलवार निकाली और उसके पैर का अंगूठा काट दिया। इसके बाद मैं वहां से चला आया । ” सिपाहियों के बीच खुसर- पुसर होने लगी।
Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘वासु की शांति’
एक बूढ़े सिपाही ने कहा, “अगर आपने उस डाकू को पहचान ही लिया था तो उसकी गर्दन काटने की बजाए पैर का अंगूठा क्यों काटा?”तेनाली आह भर कर बोले, “मैं ऐसा नहीं कर सका क्योंकि वह काम तो पहले से ही किसी और ने कर रखा था। उस आदमी का कटा हुआ सिर भी उसी तंबू में रखा था।” एक पल के लिए सबके बीच गहरा सन्नाटा छा गया और फिर सारे बहुत देर तक हंसते रहे।
क्या सीख मिली (Moral of The story)
एक अनाड़ी और होशियार इंसान में क्या फर्क होता है: “भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।