Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘राजा का भोजन’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘राजा का भोजन’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: राजा कृष्ण देव राय (raaja krshn dev raay) दिन प्रति दिन बहुत मोटे होते जा रहे थे। वे हर तरह का भोजन (Meal) करते और व्यायाम (Exercise) बिल्कुल न करते। दरबारी और मंत्रियों (ministers) को उनकी चिंता होने लगी थी। “महाराज! कितने चुस्त (agile) हुआ करते थे। वे रोज घुड़सवारी (horse riding) करते थे, तलवारबाजी (fencing) का अभ्यास करते थे, राज्य का दौरा करते थे और सैनिकों का नेतृत्व करते थे।

अगर उन्हें कोई सिपाही मोटा या थुलथुल दिखाई देता तो वे उसे बहुत डांटते थे। अब वे ऐसा जीवन जी रहे है। कि उन्हें हिलना भी मुश्किल लगता है। हम क्या कर सकते हैं? वे सभी आपस में खुसर-पुसर करते। एक मंत्री ने सलाह दी कि महाराज को सलाह देने के लिए चिकित्सकों और हकीमों को बुलवाया जाए। जब हकीम ने आ कर महाराज को कहा कि उन्हें अपने भोजन की मात्रा घटानी चाहिए और थोड़ी कसरत भी करनी चाहिए।

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तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

तो यह सुन कर महाराज को और भी गुस्सा आ गया। जब भी कोई उन्हें सलाह देता तो उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ जाता था। उन्होंने ऐलान करवा दिया कि वे अपना मोटापा कम करने के लिए कोई आसान सा उपाय चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए एक शर्त रख दी कि जिसकी भी सलाह बेअसर रही, उसका सिर कलम करवा देंगे। सभी राजा से डरते थे और अब तो वे और भी दूर से बात करने लगे। किसी में इतना साहस न था कि वह महाराज को सलाह दे सके।

वे तेनाली रमन के पास गए और उनसे विनती की कि वे महाराज की मदद का कोई उपाय तलाशें। कुछ ही दिन बाद, दरबार में एक ज्योतिषी आया। उसने दरबार से कहा कि महाराज के पास जीने के लिए केवल एक ही माह बचा है। यह सुन कर तो महाराज आगबबूला हो गए। उन्होंने झट से ज्योतिषी को कैद में बंद करवा दिया। “इसे एक माह तक वहीं रहने दो।” वे बोले। दरअसल वे देखना चाहते थे कि ज्योतिषी की भविष्यवाणी सच थी या झूठ। उन्हें बहुत गुस्सा आया हुआ था, “उसने ऐसा कहने का साहस कैसे किया?”

बेचारा ज्योतिषी भी कैदखाने में बैठा यही सोच रहा था कि माह के अंत में उसके साथ क्या होगा। एक माह बीत गया और महाराज अब भी भले-चंगे थे। केवल उन्हें भूख लगनी बंद हो गई थी और वे परेशानी व चिंता के कारण यहां से वहां चक्कर काटते दिखाई देते थे। पर जब उन्होंने पाया कि ज्योतिषी की भविष्यवाणी गलत निकली तो उन्होंने उसे तुरंत दरबार में बुलवाया।

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तेनालीराम की कहानियां

“तो ज्योतिषी महाराज, मैं तो आपके सामने जीता-जागता खड़ा हूँ। अब आपके सिर कटने की बारी आ गई है। ठीक कहा न मैंने?” महाराज पूछा। “महाराज! मेहरबानी करके पहले आप शीशे में अपना चेहरा देखें। यदि आपको कोई बदलाव दिखाई न दे तो आप मेरे साथ जो जी में आए कर सकते हैं।” ज्योतिषी ने कहा। महाराज ने शीशे में अपने-आप को गौर से देखा तो हैरान रह गए।

अब वे पहले की तरह मोटे नहीं थे। महाराज की हैरानी की सीमा न रही। उन्हें तो पता ही नहीं चला कि उनका मोटापा इतना कम हो गया था। मजे की बात तो यह थी कि उन्होंने अपनी ओर से कोई उपाय भी नहीं किया था। तभी हकीम ने अपनी नकली दाढ़ी-मूंछ उतार कर कहा, ‘महाराज! मैं कोई ज्योतिषी नहीं आपका शाही हकीम हूं।

मुझे तेनाली ने आपको यह सलाह देने के लिए भेजा था ताकि आप आवश्यकता से अधिक भोजन करना बंद कर दें और थोड़ा सैर पर ध्यान दें और हमारी योजना सफल रही।” महाराज ने तेनाली रमन और हकीम दोनों को ही पुरस्कार दे कर अपनी प्रसन्नता प्रकट की।

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क्या सीख मिली (Moral of The story)

चालाक इंसान वही जो हर किसी काम में अपना फायदा और नुकसान दोनों अच्छे से देखे। किसी भी काम को करने से पहले उसके फायदे और नुकसान को जानने की आदत चतुर इंसान की आदत होती है।

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