Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘सपनों का महल’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘सपनों का महल’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: महाराज कृष्ण देव राय (mahaaraaj krshn dev raay) गहरी नींद में थे। नींद के दौरान भी उनके चेहरे पर मुस्कान (Smile) खिली हुई थी। वे बहुत सुंदर सपना (Dream) देख रहे थे। उन्होंने सपने (Dream) में एक बहुत ही सुंदर व जगमगाता महल (glittering palace) देखा, जो हवा में तैर रहा था। महल (glittering palace) में सब कुछ बहुत ही सुंदर और आलीशान था।

ऐसा लगता था मानो देवताओं ने उस महल की रचना की हो। महल का एक-एक कोना भीनी सी खुशबू से महक रहा था। उसके भीतर जाते ही ऐसा लगता था मानो किसी अनोखी दुनिया में आ गए हों। वे उठे तो सपने की यादें अभी ताजा थीं और उनका मन प्रसन्न हो उठा। उन्होंने अपने दरबार में मंत्रियों, वास्तुकारों, शिल्पियों व निर्माण कार्य करने वालों को अपने महल के नक्शे के बारे में बताया।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

वे चाहते थे कि उनके लिए वैसा ही एक महल तैयार किया जाए। सब लोगों को वैसे ही महल का नक्शा तैयार करने का आदेश दिया गया। सपनों के महल का सबसे अच्छा नमूना तैयार करने वाले के लिए भारी पुरस्कार की घोषणा की गई। वास्तुकार, शिल्पी, मूर्तिकार व कलाकार आदि आनंदित हो उठे। मंत्री कुछ बोल नहीं सकते थे पर वे जानते थे कि महाराज का यह अभियान राजकोष को खाली कर देगा।

यदि सारा पैसा यहाँ दिया तो वे राजकाज चलाएंगे परंतु उनमें इत साहस न था कि व महाराज के आगे अपना मुंह खोल सकें। उन्होंने आपस में सलाह की और अंत में तय किया कि वे तेनाली रमन की मदद लेंगे| तेनाली ने सारी बात जानन के बाद कहा, कुछ दिन का समय दें। इसके बाद हम दोबारा बात करेंगे।” मुझे पूरा विश्वास है कि “हम कोई न कोई उपाय निकाल ही लेंगे।

मैं समझ सकता हूं कि यह स्थिति कितनी आपातकालीन है। अगर हमने महाराज को सही समय पर चेतावनी नहीं दी तो हमारे साथ-साथ हमारे सारे राज्य को भी इसका नतीजा भुगतना होगा।” उनका आश्वासन पाने के बाद दरबारी वापिस लौट गए। कुछ ही दिन बाद, दरबार में एक बूढ़ा आदमी दौड़ा-दौड़ा आया और मदद के लिए चिल्लाने लगा। महाराज ने हैरानी से पूछा, “कौन हो भाई? इस तरह दरबार में रोते हुए क्यों आए हो?”

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

“प्रणाम महाराज, मेरा नाम त्रिविक्रम है। मैं पास ही के गांव में रहता हूं। मुझे इस राज्य ने लूट लिया है। मेरा सारा सामान लूट कर ले गए! राज्य ने मुझे बरबाद कर दिया। मेरी पत्नी और बच्चे अब सड़क पर आ गए हैं। महाराज, आपको मेरी मदद करनी ही होगी।” महाराज ने गुस्से से कहा, “मुझे उन भ्रष्ट अधिकारियों के नाम बताओ, जिन्होंने तुम्हें लूटा है। ”

“महाराज! अधिकारियों के साथ…।” “हां-हां बोलो, चुप क्यों हो गए?” महाराज ने पूछा। वह आदमी डर गया परंतु जब महाराज ने बार-बार बिना किसी भय के बोलने को कहा तो वह बोला, “महाराज! मैंने कल रात एक डरावना सपना देखा। मैंने सपने में देखा कि अधिकारियों ने मेरी सारी संपत्ति लूट ली और आप उनका नेतृत्व कर रहे थे। मेरा सारा धन एक संदूक में था। आपने दरबानों से कहा कि वे उस संदूक को उठा कर महल ले चलें।”

“तुमने सपना देखा था। यह एक सपना था तो तुमने इसे सच कैसे मान लिया?” महाराज ने पूछा। “जी महाराज! मुझे लगा कि जब आपके सपनों वाले महल की बात सच हो सकती है तो शायद मेरा यह डरावना सपना भी सच हो सकता हैं। आप भी तो अपने सपने में विश्वास करते हैं न?” बूढ़े ने बड़ी विनम्रता से कहा। अचानक ही महाराज को समझ आ गया कि वे अपने सपने के पीछे

भाग कर कितनी बड़ी भूल कर रहे थे। उनके देखते ही देखते बूढ़ा अपने असली भेष में आ गया। यह तो तेनाली रमन खड़े थे। महाराज बोले, “नए महल को बनाने से जुड़ी हर योजना बंद कर दी जाए। ” सारे मंत्रियों ने राहत की सांस ली। राजकोष खाली होने से बच गया था।

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क्या सीख मिली (Moral of The story)

समस्या सभी के जीवन में आती और जाती है। कुछ लोग समस्या आने पर टूट जाते है तो कुछ लोग समस्या आने पर और मजबूत हो जाते हैं। जो अपने जीवन के समस्या को हल करके आगे बढ़ते है, वही चालाक इंसान माने जाते है।

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