Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘शंकर का दल’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘शंकर का दल’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: प्रकाशम (Prakasam) अचानक ही बहुत बड़ी परेशानी (big trouble) में पड़ गया था। वह कॉपिली (Copilly) का एक व्यापारी (Businessman) था। वह जंगल में रास्ता भटक (lose your way) गया और बड़ी मुश्किल से जंगल के एक कोने तक पहुंचा। यहां आकर, अचानक उसकी सामान से भरी गाड़ी एक खड्डे में पलट गई और उसका घोड़ा भी मारा गया।

उसे दूर से ही हंपी शहर दिख रहा था पर वह अपने सामान को वहां छोड़ कर आगे नहीं जा सकता था। बड़ी अजीब मुसीबत हो गई थी। एक तो पहले जंगल में रास्ता भटक गया। जब जंगल में रास्ता मिला तो गाड़ी खड्डे में गिर कर पलट गई और फिर घोड़ा भी नहीं रहा। अब सारा सामान गाड़ी में बंधा है और उसे खींचने के लिए किसी ताकतवर जानवर की जरूरत है।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

तेनाली रमन ने अपने घर के बाहर एक आदमी खड़ा दिखाई दिया। प्रकाशम दौड़ता हुआ उनके पास गया और चिल्लाया, “ श्रीमान! मेरी मदद कीजिए।”तेनाली रमन ने उसकी सारी बात सुनी और बोले, “पहले तुम्हारी गाड़ी को सीधा करना होगा। इसके लिए हमें घोड़ा चाहिए। मेरे घर के बरामदे में घोड़ा बंधा है, चलो हम उसे ले आते हैं। “तेनाली प्रकाशम को ले कर अपने घर के पिछले बरामदे में गए। वहा एक दुबला और मरियल सा घोड़ा खड़ा था। प्रकाशम ने पहले घोड़े को और

फिर तेनाली रमन को हैरानी से देखा। उसने सोचा, “क्या यह व्यक्ति पगला गया है? मेरा घोड़ा गाड़ी को खींचते खींचते मर गया और अब यह मरियल घोड़ा सामान से भरी गाड़ी को कैसे सीधा करेगा?” हालांकि उस समय कोई और सहायता न मिलने की दशा में उसने तेनाली की घोड़ा वहां ले जाने में मदद की। “मेरा शंकर आपकी मदद करेगा।” तेनाली रमन मुस्कुरा कर बोले और प्रकाशम मन ही मन सोचने लगा कि कहीं आज दूसरे घोड़े की भी मौत न हो जाए।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

वहां जा कर तेनाली ने कहा, “आप परेशान न हों। मेरा शंकर अभी आपका काम संवार देगा।’ अचानक तेनाली चिल्लाए, “राजू खींचो! खींचो वेनु!, सामा खींचो ! जोर लगा कर खींचो विजय! और दम लगाओ, रमैया!! आओ शंकर, तुम भी जोर लगाओ !! ” प्रकाशम का तो दिमाग ही चकरा गया। वे सज्जन इतनी जोर से ‘चिल्ला क्यों रहे थे? वे किसका नाम ले कर पुकार रहे थे। वहां तो उस मरियल जानवर के सिवा कोई और नहीं दिख रहा था। या तो वह व्यक्ति पागल था प्रकाशम सोचने लगा कि उसका ही दिमाग खराब हो गया था जो वह उनकी मदद लेने चल दिया?

तभी उसने एक विचित्र घटना देखी लगाम कस कर तन गई। बूढ़ा घोड़ा अपनी पूरी ताकत के साथ तन कर खड़ा हो गया। वह एक ही झटके गाड़ी खींचने लगा और इधर तेनाली रमन व्यक्ति ने अलग-अलग जानवरों के नाम ले ले कर शाबाशी देने का सिलसिला जारी रखा और यह क्या देख ही देखते घोड़े ने गाड़ी को सामान सहित सीधा कर दिया। व्यापारी उस बड़े घोड़े शंकर की ताकत देख हैरान रह गया। उसने बड़े ही आश्चर्य से तेनाली को देखा, जो समझ गए कि अजनबी के लिए उनका घोड़ा एक पहेली बन गया है।

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तेनाली बोले, “दोस्त! पहले शंकर घोड़ों के पूरे दल का नेतृत्व करता था। ये एक साथ मिल कर दौड़ते थे, पर अब वे सब नहीं रहे। हालांकि, जब भी शंकर पूरे दल के साथियों के नाम सुनता है तो मानो उसका वही पुराना जोश और ताकत लौट आती हैं और यह जादू कभी बेकार नहीं जाता।” तेनाली रमन जानते थे कि दल की एकता क्या मायने रखती है। प्रकाशम उन्हें धन्यवाद दे कर शहर की ओर चला गया।

क्या सीख मिली (Moral of The story)

कोई रास्ता शायद हमें इसलिए भी सही जान पड़े क्योंकि हमने खुद को धोखे में रखा है। जो हमें सही लगता है उसकी बिना पर फैसला करना, अपने दिल पर भरोसा करना है। और हमारा दिल हमें गलत राह दिखा सकता है।

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