Bhakt Bhagwat Biography: भागवत (Bhagwat) की आयु महज साढ़े तीन वर्ष है और वह कृष्ण भक्ति (Lord Krishna) में डूब चुके हैं। भागवत अपने माता-पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। भागवत के पिता का नाम आदित्य शर्मा था, लेकिन दीक्षा के बाद प्रभु जी हो गया।
बेटे के लिए पिता ने छोड़ी नौकरी
जयपुर के रहने वाले प्रभु जी ने इंजीनियरिंग की। पढ़ाई के बाद मर्चेंट नेवी में सेलेक्शन हो गया था, जहां उन्हें कैप्टन का पद ऑफर हुआ और 10 लाख प्रति माह के पैकेज की पेशकश की गई, लेकिन जब शिक्षा गुरु से बात हुई, तो उन्होंने शास्त्र का ज्ञान दिया। गुरु का मानना था कि खाना, सोना, परिवार बढ़ाना और बचाव करना ही मानव जीवन का उद्देश्य नहीं है। ये पशु भी करता है।
प्रभु जी मानते हैं धर्म ही एक ऐसी अलग चीज है, जो मनुष्य और पशु को अलग करता है। मनुष्य ही इन प्रश्नों के उत्तर जान सकता है कि वह कौन है? जन्म से पहले क्या था? मृत्यु के बाद कहां जाएगा? वह अपनी जिंदगी में परेशानी से कैसे उबर सकता है?
जब प्रभु जी 12वीं कक्षा में थे, तो उनकी माता को किसी ने डॉक्टर वृंदावन चंद्र दास जी के बारे में बताया। प्रभु जी बचपन में काफी शैतानी करते थे, जिस वजह से मां चाहती थी कि बेटे का ध्यान अध्यात्म की ओर जाए। कुछ ऐसा हुआ कि साल 2009 में प्रभु जी ने वृंदावन चंद्र दास जी की कुछ ऐसी बातें सुनीं, जिसने जिंदगी बदल दी।
जब प्रभु जी का विवाह हुआ, तो दंपति ने चाहत थी कि उन्हें ऐसी संतान प्राप्त हो, जो कृष्ण भगवान का भक्त हो। जब उनका पुत्र गर्भ में था, तो माता ने भागवत के 18 हजार श्लोक पढ़े। दंपति रोजाना मंदिर जाती और मंत्र पढ़ती। इस माहौल में पुत्र का गर्भ में पोषण हुआ और जब जन्म हुआ, तो उसका नाम भागवत रखा गया।
गुरुकुल में पढ़ते हैं भागवत
भागवत गुरुकुल में पढ़ते हैं। उन्हें भगवान की कहानियां, कीर्तन के बारे में बताया गया है। माता-पिता का मानना है कि बच्चों को सिर्फ भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक ज्ञान की भी जरूरत है। मैकॉले की शिक्षा पद्धत्ति ने जिस तरह भारतीय संस्कृति का विनाश किया है, उसने लोगों को नैतिक पतन की ओर धकेला है। इसी कारण अब ऐसा माहौल बन चुका है कि बच्चे विदेश में हैं और माता-पिता को घर में कोई पूछने वाला तक नहीं है।
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भागवत को भगवत गीता का ज्ञान है। वह भजन भी करते हैं। भागवत बताते हैं कि उनसे भगवान कृष्ण मिलने आते हैं। बालक का मानना है कि अगर हम भक्ति नहीं करते हैं, तो संसार की जेल में बंद हो जाएंगे। सभी को माला-जाप, आरती करते हुए भक्ति करनी चाहिए। भागवत अपने गले में कंठी माला पहनते हैं, जिसमें भगवान नरसिंह भी हैं। इस माला को पहनकर उन्हें सुखद अनुभूति होती है।