Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘चंदू की पहेली’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: चंदू (Chandu) नामक एक व्यक्ति धनी जमींदार (rich landlord) था। वह तेनालीराम (Tenali Ram) का पक्का मित्र (friends) भी था। वह उम्मतुर (ummattur) नाम के एक गांव (Village) में रहता था। वह कुछ ही दिनों का मेहमान (Guest) था। उसके तीन बेटे थे। एक दिन उसने अपने तीनों पुत्रों को अपने पास बुलाया और कहा कि मेरे मरने के बाद मेरे पलंग के नीचे से जमीन खोद कर देखना।

तीनों पुत्रों ने चंदू की मौत के बाद ऐसा ही किया। उन्होंने पलंग के नीचे खुदाई करनी शुरू कर दी। खुदाई के दौरान उन्हें जमीन में दबे हुए तीन कटोरे मिले जो कि एक के ऊपर एक करके रखे हुए थे। पहले कटोरे में मिट्टी भरी हुई थी, दूसरे में सूखा हुआ गाय का गोबर था और तीसरे में तिनके रखे हुए थे। तीनों कटोरों के नीचे उन्हें दस सोने की मुद्राएं भी रखी हुई मिली, जिन्हें वराह (सिक्के) कहा जाता था। तीनों पुत्रों ने उन्हें ध्यान से देखा और अपना दिमाग लगाया लेकिन उनकी समझ में कुछ नहीं आया।

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

“चलो तेनाली रमन चाचा जी के पास चलते हैं। वे समझदार है और बुद्धिमान भी है। वे हमें इन सबका सही मतलब बताएंगे। ” एक भाई ने सलाह दी। हां, यही ठीक रहेगा। आओ जल्दी चलें।” दूसरे भाईयों ने भी हां कर दी और वे तेनाली रमन के पास चल दिए । उन्होंने तेनाली से कहा, “चाचा जी! आप इस बारे में क्या कहते हैं? क्या हमारे पिताजी ने इस बारे में कभी आपसे कोई बात की है?”

Tenaliram Ki Kahaniyan
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तेनालीराम ने जवाब दिया, “नहीं। तुम्हारे पिता ने कभी भी इस बारे में मुझसे बात नहीं की। मैं तुम्हारे पिता को कई सालों से जानता हूं। वे शुरू से ही पहेलियाँ बुझाने के शौकीन रहे हैं। यह भी एक पहेली है। मुझे सोचने के लिए थोड़ा समय दो।”तीनों लड़के उनके पास ही बैठ गए और तेनाली कुछ सोचने लगे। “मुझे पता चल गया। आओ, मैं तुम्हें बताता हूं कि इस पहेली का क्या हल है?” तेनाली रमन ने कहा।

‘चंदू की पहेली’ (Tenaliram Ki Kahaniyan)

लड़के उत्सुकता से आगे आए और बोले, “क्या हल है चाचा जी? जल्दी से बताएं। तेनाली ने जवाब दिया”, तीनों कटोरों को ध्यान से देखो। ये तीनों तुम्हारे नाम से हैं। सबसे ऊपर वाला कटोरा सबसे बड़ा है जिसमें कि मिट्टी भरी हुई है। इसका मतलब है कि “तुम्हारे पिता के सारे खेत बड़े वाले पुत्र के हिस्से में आए हैं।” दूसरा कटोरा, जिसमें कि गाय का सूखा हुआ गोवर भरा है, वह मझले पुत्र के लिए है।

इसका अर्थ है कि-“सारे पशु और जानवर उसके हिस्से में आए हैं। ” और तीसरा कटोरा छोटे पुत्र के लिए है जिसमें तिनके रखे हुए हैं। इन तिनकों को ध्यान से देखो ये सुनहरे रंग के हैं। इसका अर्थ है कि- “छोटे पुत्र के हिस्से में सारा सोना आया है। लेकिन चाचा जी पहेली अभी भी पूरी तरह से सुलझी नहीं है। ये दस सोने के वराह (सिक्के), ये किसके हिस्से में आए हैं? एक बेटे ने पूछा।

अच्छा, ये सोने के सिक्के, यह मेरा मेहनताना है। तुम्हारे पिता कभी भी कोई चीज मुफ्त में नहीं लेते थे। वे दस सोने की मुद्राएं मेरे मेहनताने के रूप में छोड़ गए हैं।” तेनाली रमन बोले। तीनों पुत्रों को अपने पिता की पहेली का उत्तर मिल चुका था। उन्होंने वे सोने की मुद्राएं तेनाली रमन को दी और वहां से विदा ली।

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क्या सीख मिली (Moral of The story)

तेनाली राम की इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी भी चीज को समझने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। जरूरी नहीं कि वो जैसा दिख रहा हो उसका मतलब भी वहीं हो, कई बार गहराई से सोचने पड़ हमें उसका सही मतलब पता चलता है। तेनालीराम की सूझबूझ से तीनों बेटों को उनका हक मिल गया।

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