Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘महाराज की खांसी’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: एक बार महाराज कृष्ण देव (Maharaj Krishna Dev) की तबीयत खराब हो गई। उन्हें बुरी तरह से जुकाम (Cold) हो गया। राज वैद्य (Vaidya) ने उन्हें अचार, खट्टी और मसालेदार चीजें व दही खाने से मना कर दिया। लेकिन महाराज (Maharaj Krishna Dev) तो महाराज थे। वे भला किसकी मानने वाले थे। अतः उन्होंने वैद्य की परवाह किए बिना सब कुछ खाना जारी रखा।

सभी वैद्य और दरबार के मंत्री महाराज की इस आदत से परेशान हो गये। उन्होंने मिल कर तेनाली रमन से सलाह लेनी चाही। क्योंकि वे जानते थे कि केवल वही एक व्यक्ति हैं, जो महाराज को समझा सकते हैं। वे मिल कर तेनाली रमन के पास गए और उन्हें इस समस्या का हल निकालने को कहा क्योंकि महाराज की बदपरहेजी के कारण उनकी खांसी बढ़ती जा रही थी। तेनाली रमन ने इसका भी उपाय सोच लिया।

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

अगले ही दिन वे महाराज के पास गए और उन्हें एक दवा देते हुए बोले, “महाराज! एक बहुत ही पहुंचे हुए हकीम ने यह दवा आपके लिए भेजी है। आप इसे खा लीजिए और इसके साथ आप जो चाहे खा सकते हैं।” महाराज चौंकते हुए बोले, “क्या कहा? मैं सब कुछ खा सकता हूँ। अचार, खट्टी चटनी और दही भी खा सकता हूँ?”” जी महाराज।” तेनाली रमन ने उत्तर दिया।

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एक सप्ताह बाद तेनाली रमन दोबारा महाराज से मिलने गए। उन्होंने महाराज से उनकी तबीयत के बारे में पूछा। महाराज ने जवाब दिया “मेरी तबीयत तो पहले से भी ज्यादा खराब है। मेरा जुकाम बिलकुल भी ठीक नहीं हो रहा। खांसी की हालत भी ज्यों की त्यों है। गले में लगातार खराश बनी रहती है। “तेनाली रमन ने जवाब दिया, “महाराज। आप वही दवा जारी रखें। इसे खाने से आपको तीन फायदे होंगे।”

‘महाराज की खांसी’ (Tenaliram Ki Kahaniyan)

‘क्या कहा? तीन फायदे? वह कैसे?” महाराज ने चौंकते हुए पूछा। “एक, राजमहल में कोई चोर नहीं आएगा। दूसरे, आपको कोई कुत्ता तंग नहीं करेगा और तीसरे, आपको बूढ़ा होने का भी कोई डर नहीं रहेगा।” तेनाली रमन ने मुस्कुराते हुए कहा । “मैं कुछ समझा नहीं। मेरे जुकाम से चोर, कुत्ते और बुढ़ापे का क्या संबंध है?” महाराज सोच में पड़ गये।

तेनाली रमन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “देखिए महाराज। यदि आप खट्टी चीजें खाना जारी रखेंगे तो सारा दिन और सारी रात खांसते रहेंगे। और आपके खांसने से कोई भी चोर महल में घुसने की हिम्मत नहीं कर सकता क्योंकि आप हमेशा जागते रहेंगे और चौकस बने रहेंगे। “” और कुत्ते, इस बात का कुत्तों से क्या लेना-देना है?” महाराज ने पूछा!

तेनाली बोले, ‘जब 14 आप लगातार खांसते रहने से कमजोर हो जाएंगे और खड़े नहीं हो पाएंगे तो आपको सहारे के लिए लाठी की जरूरत पड़ेगी। लाठी पास होने से कुत्ते डर कर दूर आपसे रहेंगे।”‘अब तीसरी बात यानी बुढ़ापे के बारे में क्या कहते हो?” महाराज ने पूछा। ” अरे हां। जब आप हमेशा यूं ही बीमार रहेंगे तो बूढ़ा होने की नौबत ही नहीं आएगी और आप जवानी में ही मर जाएंगे, अतः आपको तो बुढ़ापे का कोई डर ही नहीं रहेगा।” तेनाली रमन ने खुश होते हुए महाराज से कहा।

तेनाली रमन ने महाराज के सामने सच्चाई की जो तस्वीर पेश की वे उसे देखकर डर गए। उन्होंने खट्टी चीजें व दही आदि खाना बंद कर दिया। कुछ ही दिन में वे पहले की तरह पूरी तरह स्वस्थ हो गए।

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क्या सीख मिली (Moral of The story)

किसी भी मानवीय व्यवहार की तरह जिद भी बेहद सहज प्रतिक्रिया है। अगर इच्छाएं आसानी से पूरी न हों या मनचाही वस्तु हासिल करने में उसके सामने कोई बाधा आए तो उसे पाने के लिए व्यक्ति अपनी तरफ से हर संभव कोशिश करता है। इसी क्रम में वह रोने-चिल्लाने या रूठकर अपनी नाराजगी दिखाने जैसी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करता है। महराज के साथ भी कुछ ऐसी ही समस्याएं थी, जिसे तेनालीराम ने अपनी समझदारी से समाप्त करने का काम किया।

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