Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘वासु की शांति’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: वासु राव (Vasu Rao) नाम का एक व्यक्ति तेनाली रमन (Tenaliram) का मित्र था। वह एक जमींदार था। उसके पास बड़े-बड़े खेत और खलिहान थे। वास्तव में वह बहुत कंजूस (stingy) था। वह एक बहुत बड़ा घर (Big house) खरीदना चाहता था जहां वह शांति (Calmness) के साथ रह सके और आराम से जीवन बिता सके। वह इस बारे में अपने मित्र तेनाली रमन (Tenaliram) से भी कई बार बात कर चुका था।

तेनाली रमन ने निश्चय कर लिया कि वे वासु के बारे में कुछ न कुछ अवश्य सोचेंगे। अगली बार जब वासु ने उनसे शिकायत की कि उसका घर बहुत छोटा है और उसे वहां शांति नहीं मिलती तो तेनाली रमन ने उनकी समस्या का समाधान करने का वादा किया। वे वासु के घर गए और उसे चारों ओर से देखने लगे। घर देखने के बाद वे बोले, “वासु! क्या तुम्हारे पास मुर्गियां और भेड़ें हैं?” वासु बोला, “हां, मेरे पास बहुत सारे जानवर हैं। ”

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तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

तेनाली रमन उसके साथ गए और कुछ मुर्गियां और भेड़ें पकड़ कर वासु के घर के अंदर छोड़ दीं। उन्होंने देखा कि वासु के खेत में कुछ और पशु भी थे जो यहां-वहां चर रहे थे। उनमें गाय, घोड़े और सूअर भी थे। तेनाली रमन एक-एक करके सभी को पकड़ लाए और उन्हें भी वासु के घर के अंदर छोड़ दिया। वासु सहमा हुआ सा यह सब देख रहा था कि उसका मित्र यह क्या कर रहा है।

पूरे कमरे में तरह-तरह के जानवरों की आवाजें गूंजने लगीं। सारा घर ऐसा लग रहा था मानो कोई चिड़ियाघर बन गया हो। जानवर आज अपने लिए नया घर पा कर बहुत प्रसन्न थे और नए-नए सुरों में अपनी प्रसन्नता प्रकट कर रहे थे। वासु अपने पलंग पर चौकड़ी मार कर बैठ गया और अपने मित्र को बेवकूफी पर खिसियाने लगा, “हे भगवान मैंने तो शांति मांगी थी, लेकिन अब मुझे सारा दिन इन जानवरों के साथ गुजारना पड़ेगा जो मेरे घर के अंदर जुगाली कर रहे हैं, रंभा रहे हैं, कराह रहे हैं, हिनहिना रहे हैं और मिमिया रहे हैं।

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इससे तो मैं पहले ही बहुत अच्छा था। मैंने अपने दोस्त से मदद क्यों मांगी?” तभी तेनाली रमन मुस्कुराते हुए बोले, “अच्छा वासु! मैं चलता हूं। कुछ समय बाद आ कर तुमसे मिलता हूं।” जब तेनाली वापिस आए तो देखा कि “ वासु अभी भी हैरान और परेशान सा अपने पलंग पर बैठा हुआ है और सारे जानवर उसके आस-पास खड़े हैं। ” वे बोले, “वासु! कैसे हो? क्या अब हम इन जानवरों को बाहर ले जाएं?”

जैसे ही तेनाली रमन ने ये शब्द कहे, वासु कूद कर पलंग से नीचे आ गया क्योंकि वह स्वयं सभी जानवरों को जल्दी से जल्दी बाहर ले जाना चाहता था। दोनों मित्रों ने मिल कर सभी जानवरों को बाहर किया और वासु ने चैन की सांस ली। उसने कपड़े से अपना मुंह पोछा और कहा “ओह! कितनी शांति है!” “यही तो मैं तुम्हें दिखाना चाहता था।” तेनाली रमन बोले। “अब तुम्हारे पास वह सुख और शांति है, जिसे तुम पाना चाहते थे।” ” तुम ठीक कहते हो रमन । अपने इसी घर में शांति नहीं ढूंढ सका।

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘झूठा साधु’

तुमने मेरी आंखें खोल दीं। ” तेनाली रमन बोले, “वासु! कभी-कभी हम स्वयं भी यह नहीं जानते कि हमारे पास क्या है और हमें किस चीज की जरूरत है। हम बेवजह ही यहां-वहां भटकते रहते हैं। हमें हमेशा यह सोच कर संतुष्ट रहना चाहिए कि ईश्वर ने हमें जितना दिया है, वह काफी है।” “धन्यवाद मित्र । तुमने मेरी आंखों खोल दीं। तुम वाकई में सच्चे मित्र हो।” इतना कह कर वासु ने तेनाली रमन को अपनी बांहों में भर लिया।

क्या सीख मिली (Moral of The story)

ईश्वर ने हमें जो कुछ भी दिया है, उसे कृतघता भाव के साथ ग्रहण करना चाहिए। जीवन में जो कुछ मिला है, उसी में खुश रहना चाहिए। और जो नहीं मिला उसके लिए कभी भी दुखी नहीं होना चाहिए।

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