Tenaliram Ki Kahaniyan: अधिकतर लोग अंधविश्वासी (superstitious) होते हैं। वे बिना सोचे-समझे हर बात पर आसानी से विश्वास (faith) कर लेते हैं। इसी प्रकार एक दिन एक साधु (Saint) जैसा दिखने वाला आदमी हाथ में छड़ी लिए हंपी आया। लोग उसके आस-पास इकट्ठा होने लगे। साधु (Saint) जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने लोगों को कई जादुई करिश्मे दिखाए तथा कई प्रकार के मंत्रों का उच्चारण कर उन्हें अपने विश्वास (faith) में ले लिया। लोग उससे बहुत प्रभावित होने लगे।
धीरे-धीरे वहां बहुत अधिक संख्या में लोगों का आना-जाना शुरू हो गया। वे अपने साथ कई प्रकार की भेंट व रूपये-पैसे ले कर आने लगे और साधु को भेंट देने लगे। साधु के दिन भी मजे से गुजरने लगे। वह लोगों द्वारा लाए हुए पैसे को इकट्ठा करता और एक थैले में भर कर अपने सिर के नीचे रख कर सो जाता। धीरे-धीरे यह खबर शहर में चारों ओर फैल गई और तेनाली रमन के कानों में भी पहुंची। उन्होंने भी निश्चय किया कि वे उस साधु के दर्शन करने जाएंगे अतः एक दिन वे भी साधु से मिलने निकल पड़े।
![Tenaliram Ki Kahaniyan](http://www.tenaliraman.com/wp-content/uploads/2023/09/1-17.jpg)
तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)
साधु एक पेड़ के नीचे ऊंचे चबूतरे पर बैठा हुआ था। वह कभी अपनी आंखें बंद कर लेता और लोगों को ऐसा लगता जैसे कि वह साधना में व्यस्त है। कभी वह अपने हाथ हवा में लहराता और लोगों को आशीर्वाद देता। लोग उसके पास अपनी समस्याएं लेकर आते और वह उनका समाधान करता। उसके बदले में लोग उसे रूपये या कुछ अन्य भेंट देते। वह कभी-कभी मंत्रों व श्लोकों के साथ भी उनकी समस्याओं को हल करने का उपाय करता ।
तेनाली रमन उसके पास ही बैठे थे। वे आसानी से सुन सकते थे कि साधु लोगों से क्या कह रहा है। उन्होंने महसूस किया कि साधु थोड़ी-थोड़ी देर बाद वही गिने-चुने मंत्र और श्लोक दोहरा रहा है और बारी-बारी से लोगों को सुना रहा है। उन्होंने सोचा- “यह आदमी तो ढोंगी है। बेचारे गांव वाले बेकार में इसके जाल में फंस रहे हैं। मुझे ढोंगी की सच्चाई गांव वालों के सामने लानी होगी।”
इतना सोचते ही तेनाली रमन ने तेजी से साधु की दाढ़ी में से एक बाल उखाड़ा और कहा कि “मुझे स्वर्ग जाने का रास्ता मिल गया। देखो! यह इस साधु की दाढ़ी का कीमती बाल है। यह साधु कितना बुद्धिमान और ज्ञानी है। जो कोई भी स्वर्ग जाना चाहता है, इसकी दाढ़ी का एक बाल अपने पास रख ले।” तेनाली रमन ने बाल को हाथ में पकड़ते हुए कहा ।
” अरे हां। चलो! चलो!” भीड़ भी एकदम से बेकाबू होती हुई साधु की ओर दौड़ी। साधु ने जैसे ही भीड़ को अपनी ओर आते हुए देखा तो वह घबरा गया। वह जानता था कि यदि लोगों ने उसकी दाढ़ी या सिर से बाल उखाड़ने शुरू कर दिए तो उसका क्या हाल होगा। अतः वह अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग खड़ा हुआ, और तब तक भागता गया जब तक कि हंपी से बहुत दूर नहीं निकल गया।
तेनाली रमन वहीं खड़े-खड़े मन ही मन मुस्कुराते रहे। जिस भीड़ ने ढोंगी को साधु बना कर उसकी पूजा करना आरंभ किया था, उसने ही उसे भागने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद वे दरबार में लौट आए और महाराज कृष्णदेव राय को नकली साधु का सारा किस्सा सुनाया, महाराज भी हंसे बिना नहीं रह सके।
Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘महाराज की खांसी’
क्या सीख मिली (Moral of The story)
जीवन में सच और झूठ के मुकाबले की बात करें तो भी झूठ का बादल सच को बहुत देर तक न ढंक पाए लेकिन सच ये भी है कि जब तक कोई सच जूते पहन रहा होता है, तब तक एक झूठ आधी दुनिया का सफर तय कर चुका होता है। कहने का तात्पर्य यह कि सच के मुकाबले लोग झूठ पर जल्दी यकीन कर लेते हैं और और वह दुनिया में तेजी से फैलता है, लेकिन सच और झूठ में सबसे बड़ा फर्क यह होता है कि बोले गए झूठ को हमेशा याद रखना होता है, लेकिन सच का रिकार्ड रखने की कभी जरूरत नहीं पड़ती है।