Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम ने दिखाई चतुराई

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘अंगूठी चोर’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: महाराजा कृष्ण देव राय (Maharaja Krishna Dev Rai) के पास एक सुंदर अंगूठी (ring) पहना करते थे। वह दरबार (court) में हमेशा अपनी उस अंगूठी (ring) को पहनकर ही बैठा करते थे। राजमहल में आने वाले मेहमानों और मंत्रीगणों को भी यह बात पता थी। वह अक्सर महाराजा कृष्ण देव राय (Maharaja Krishna Dev Rai) के साथ उस अंगूठी को लेकर चर्चाएं भी किया करते थे।

राजा की पसंदीदा अंगूठी हुई चोरी (King’s favorite ring stolen)

एक दिन महाराजा कृष्ण देव राय बेहद उदास होकर अपने दरबार में बैठे हुए थे। तभी वहां पर तेनालीराम आकर उनसे परेशानी का कारण पूछते हैं। अपने सिंहासन पर बैठे कृष्ण देव राय ने बताया कि उनकी पसंदीदा अंगूठी खो गई है, और उन्हे शक है कि उसे उनके बारह अंग रक्षकों में से किसी एक ने चुराया है। तेनालीराम ने महराजा की यह बात सुनकर कुछ देर शांत रहे, और फिर बोले कि मैं उस चोर को जल्द ही पकड़ लूंगा।

Tenaliram Ki Kahaniyan
राजा की पसंदीदा अंगूठी हुई चोरी

अंगरक्षकों को बुलवाया गया (bodyguards were called)

राजा कृष्ण देव राय ने तेनालीराम की बात सुनते ही दरबार में अपने अंगरक्षकों को बुलवाने का काम किया। इसके बाद उन सभी अंगरक्षकों को लाइन से खड़ा कर दिया गया। अंगररक्षकों को लाइन से खड़ा करने के बाद तेनालीराम ने उनसे कहा कि राजा की अंगूठी आप बारह अंगरक्षकों में से किसी एक ने ली है। मैं इसका पता बड़ी आसानी से लगा लूंगा। जो सच्चा है उसे डरने की कोई ज़रुरत नहीं और जो चोर है वह कठोर दण्ड भोगने के लिए तैयार हो जाए।

काली मां का मंदिर (Kali Maa Temple)

इसके बाद तेनालीराम ने कहा कि आप सब मेरे साथ आइए हम सबको काली मां के मंदिर जाना है। तेनालीराम के मंदिर जाने को लेकर राजा ने सवाल किया, उन्होंने उससे पूछा कि ये क्या कर रहे हो तेनालीराम हमें चोर का पता लगाना है मंदिर के दर्शन नहीं कराने हैं। तेनालीराम ने महराज को सब्र रखने को कहा। उन्होंने कहा कि मुझे अपने तरीके से मेरा काम करने दीजिए।

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अंगरक्षकों को बुलवाया गया

मंदिर में जाकर करनी होगी काली मां के दर्शन (go to the temple and have darshan of Kali Maa)

मंदिर में पुजारी के साथ तेनालीराम ने अकेले में कुछ देर बातें की और फिर उसे जरूरी निर्देश दिए। मंदिर से बाहर आने के बाद तेनालीराम ने अंगरक्षकों से कहा कि आप सबको बारी-बारी से मंदिर में जा कर मां काली की मूर्ति के पैर छूने हैं। बस पैर छूने के बाद आप लोगों को तुरंत ही बार आ जाना है। ऐसा करने पर मुझे आज रात सपने में मां चोर का नाम बता देगी।

अंगरक्षकों ने मानी तेनालीराम की बात (bodyguards agreed to Tenali Ram’s request)

सभी अंगरक्षकों ने तेनालीराम की बात को मानते हुए मंदिर जाकर काली मां के पैर छूने का काम किया। अंगरक्षक बारी-बारी से मंदिर में जा कर माता के पैर छूने लगे। जैसे ही कोई अंगरक्षक पैर छू कर बाहर निकलता तेनालीराम उसका हाथ सूंघते आर एक कतार में खड़ा कर देते। ऐसा करते-करते सभी अंगरक्षकों को एक लाइन में खड़ा कर दिया गया।

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अंगरक्षकों ने मानी तेनालीराम की बात

तेनालीराम ने दिखाई चतुराई (Tenaliram showed cleverness)

राजा ने कहा कि तेनालीराम अब इनका क्या करना है, चोर का पता तो कल चलेगा। इस पर तेनालीराम ने हंसते हुए कहा कि नहीं महराज चोर का पता लग चुका है। सातवें स्थान पर खड़ा अंगरक्षक ही चोर है। ऐसा सुनते ही वह अंगरक्षक भागने लगा, पर वहां मौजूद सिपाहियों ने उसे धर दबोचा, और कारागार में डाल दिया। तेनालीराम की इस चतुराई को देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए।

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘हीरों का सच’

महराजा को बताया पूरा सच (Told the whole truth to the Maharaja)

तेनालीराम ने कहा कि मैंने पुजारी जी से कह कर काली मां के पैरों पर तेज सुगन्धित इत्र छिड़कवा दिया था। जिस कारण जिसने भी मां के पैर छुए उसके हाथ में वही सुगन्ध आ गई। लेकिन जब मैंने सातवें अंगरक्षक के हाथ महके तो उनमे कोई खुशबु नहीं थी। उसने पकड़े जाने के डर से मां के पैर नहीं छूए थे। इस तरह हमने उसे पकड़ लिया। तेनालीराम की चतुराई को देखकर राजा कृष्ण देव राय बेहद प्रसन्न हुए।

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