Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘पवित्र जल’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘पवित्र जल’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनाली रमन (Tenaliram) की पत्नी (Wife) प्रतिदिन (daily) उन्हें बताती कि उनके पड़ोस (neighborhood) में रहने वाली महिला अपनी बहू (Daughter in law) से झगड़ा (Quarrel) करती रहती है। वे दोनों बिना किसी बात के आपस में बहस (Discussion) करतीं और जोर-जोर से चिल्लातीं (Screaming) रहती है। एक दिन तेनाली (Tenaliram) की पत्नी ने उन्हें कहा कि उस घर की बहू उनसे मिलने आई है।

तेनाली रमन उस महिला से मिले। वह बहुत उदास थी। उसने कहा, “मुझे अपनी सास से झगड़ना अच्छा नहीं लगता। लेकिन वह हर समय मुझे कुछ न कुछ ताने मारती रहती है और खरी-खोटी सुनाती रहती है। जब मैं उन्हें कुछ जवाब देती हूं तो घर में हंगामा हो जाता है। कृपा करके आप मेरी सहायता कीजिए। मैं इस समस्या से किस तरह छुटकारा पा सकती हूं?”

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

तेनाली रमन ने कुछ दे सोचा और फिर अंदर जा कर एक बर्तन में पानी लेकर आए। वे बोले, “ये लो। यह बहुत ही पवित्र जल है। तुम्हारी सास जब भी तुम्हें कुछ क तुम इस पानी का एक अपने मुंह में दो मिनट तक रख लेना और कुछ मत बोलना। ” ‘क्या इससे मेरी समस्या 14 हल हो जाएगी?” उस महिला ने पूछा। ‘हां। अवश्य। किंतु यह कार्य तुम्हें लगातार करना है।” तेनाली रमन ने सलाह दी।

उस महिला ने तेनाली रमन के कहे अनुसार वैसा ही करना शुरू कर दिया। उसकी सास जब भी उसे कुछ कड़वा बोलती, वह अपने मुंह में पानी का एक घूंट भर लेती और चुप रहती । इस प्रकार हर बार उसकी सास बोल बोल कर थक जाती और हार कर चुप हो जाती । हर महीने वह औरत तेनाली रमन के पास आती और पवित्र जल ले जाती। उसे यही लगता था कि तेनाली रमन के घर से मिले पवित्र जल के कारण ही यह चमत्कार हुआ है।

बस वह तेनाली के निर्देशों को याद रखते हुए, पवित्र जल पीना नहीं भूलती थी। घर में तो तकरीबन रोज किसी न किसी बहाने लड़ाई या बहस का कारण बन ही जाता था परंतु वह कभी भी पवित्र जल पीना नहीं भूलती थी। यही सिलसिला कुछ महीनों तक चलता रहा। कुछ दिन बाद जब उसकी सास ने अपनी बहू का यह रवैया देखा तो वह भी चकित रह गई।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

वह सोचने लगी, “मैं तो इसे कितना कुछ कहती रहती हूं परंतु ये मेरे आगे एक शब्द भी नहीं बोलती। यह वास्तव में सयानी और सहनशील हो गई है। यह मुझसे अच्छा बर्ताव करने लगी है।” कुछ महीनों बाद वह महिला फिर से तेनाली रमन के पास पवित्र जल लेने गई तो वे बोले, ” अब तुम्हें इस जल की कोई जरूरत नहीं है। ” ” क्यों? आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?” अगर आप मुझे पवित्र जल नहीं देंगे तो मेरा सुखी परिवार फिर से पहले की तरह हो जाएगा। महिला ने कहा। तेनाली जी आप चाहें तो मुझसे इस जल के लिए दाम ले सकते हैं।

तेनाली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “अब तुम यही जल अपने कुएं से ले सकती हो क्योंकि मैं भी तुम्हें कोई पवित्र जल नहीं बल्कि सादा जल ही देता था। तुमने अपने गुस्से को काबू करना सीख लिया है। तुम्हारी सास भी अब शांत और चुप रहने लगी है। ” “क्या कह रहे हैं आप? क्या वह पवित्र जल नहीं था। मैं तो कई माह से उस जल को इसी तरह प्रयोग में लाती थी मानो वह किसी तीर्थ का पवित्र जल हो।” उस महिला ने आश्चर्य से कहा।

तेनाली रमन मुस्कुरा कर बोले, “यदि मैं तुम्हें उसी समय बता देता कि उस जल में कोई करामात नहीं है तो शायद तुम मेरी बात न मानती तुमने उस जल को पवित्र माना और देखो जल ने तुम्हारे गुस्से को शांत कर दिया। ” उस महिला ने भी मुस्कुराते हुए तेनाली रमन का धन्यवाद किया। उनकी बुद्धिमानी के कारण उसके घर में सुख व शांति आ गई थी।

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘वासु की शांति’

क्या सीख मिली (Moral of The story)

सामान्य इंसान बिना किसी जानकारी के भी कोई काम करने लगता है, या किसी को बिना जानकारी होने पर ज्ञान देने लगता है। वही पर चालाक इंसान जानकारी होने पर ही किसी काम को करता है या किसी चीज़ पर बोलता है।

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