Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘मौत का घड़ा’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘मौत का घड़ा’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: महाराज (Mahraja) का जन्मदिवस (Birthday) था। सारी नगरी को दुल्हन की तरह सजाया (decorated) गया था। महल (Palace) में चारों ओर फूलों (flowers all around) से सजावट (decorated) हो रही थी। रंगोली (Rangoli) बनाई जा रही थी। कई तरह के पकवान (dish) बन रहे थे। बड़ी चहल-पहल (Hustle and bustle) दिखाई दे रही थी।

केवल विजयनगर (Vijaynagar) से ही नहीं, आसपास के राज्यों व देशों से भी कुछ प्रतिनिधि महाराज को उनके जन्मदिवस की बधाई देने आए हुए थे। महाराज के पास सांस लेने का भी समय न था। पूरे महल में उपहार ही उपहार भर गए थे। महाराज को नगर के जमींदारों तथा दूसरे राज्यों के राजाओं की ओर से भी कीमती उपहार प्राप्त हुए।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

सहायकों को आदेश दिया गया था कि वे हर उपहार को बहुत ही संभाल कर रखें ताकि इतनी भीड़ के बीच किसी वस्तु का नुकसान न हो जाए। कुछ उपहार तो साधारण ही थे परंतु कुछ उपहार ऐसे थे कि उनकी सुंदरता से आंखें नहीं हटती थीं। महाराज को सभी उपहारों में से बड़े आकार के घड़ों का जोड़ा बहुत पसंद आया जिसे फूल सजाने के लिए बनाया गया था।

एक सहायक एक घड़े को आराम से उठा कर, संभाल कर रखने के लिए ले जा रहा था। अचानक एक बिल्ली का बच्चा उसके पैरों से टकराया और वह उलझ कर वहीं गिर गया। धड़ाम! घड़े के टुकड़े-टुकड़े हो गए। बेचारा नौकर खड़ा हो कर कांपने लगा। शोर सुन कर उसक आसपास सभी लोग जमा हो गए थे। महाराज भी वहाँ आ गए और पाया कि उनका मनपसंद उपहार चूर-चूर हुआ पड़ा था।

वे बहुत गुस्से में आ गए और उसी पल आदेश दे दिए कि उस नौकर को फांसी पर चढ़ा दिया जाए। वे इस मामले में कोई सफाई सुनने को तैयार नहीं थे। नौकर को दरबान उठा कर ले गए। वह विनती ही करता रह गया। उसका एक मित्र भागा-भागा तेनाली रमन के पास गया और उनसे आग्रह किया कि वे निर्दोष नौकर के प्राणों की रक्षा करें। तेनाली ने सारी बात सुनी तो उन्हें लगा कि मामले को अपने हाथ में लेना ही ठीक रहेगा।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

उस रात वे उस जेल में गए जहां नौकर को रखा गया था। उन्होंने उसे धीरे से कुछ समझाया। वह नौकर जो अब तक जोर-जोर से रो रहा था। उसने अपने आंसू पोंछ कर अपनी गर्दन हिलाई। वह अब भी डरा हुआ था पर तेनाली रमन के आने से उसके मन को दिलासा मिल गया। वह मन ही मन उस बात को दोहराने लगा जो उसे तेनाली रमन ने बताई थी। वह जानता था कि अगर वह सही तरीके से तेनाली की कही बात को पूरा कर सका तो उसके प्राणों की रक्षा संभव थी अन्यथा संसार में कोई भी उसकी जान नहीं बचा सकता था।

अगली सुबह उसे फांसी की सजा देने के लिए ले जाया गया। इससे पहले उससे उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई। उसने कहा कि वह महल में रखें सारे घड़ों के जोड़े देखना चाहता है। महाराज भी अपने दरबारियों के साथ वहीं मौजूद थे। उन्हें उसकी अंतिम इच्छा सुन कर बहुत हैरानी हुई पर उन्होंने महल के सारे घड़े लाने का हुक्म दे दिया। नौकरों ने सारे घड़े ला कर उस नौकर के पास रख दिए।

इससे पहले कि कोई कुछ भी समझ पाता, उसने ठोकर मार-मार कर, वे सभी बड़े तोड़ दिए। महाराज गुस्से से चिल्लाए, “तुम्हारी इतनी मजाल! तुम्हें एक घड़ा तोड़ने की सजा दी जा रही है और पछतावा करने की बजाए तुम सारे घड़े तोड़ रहे हो, क्यों?’ नौकर ने सादर प्रणाम करते हुए कहा “महाराज, मैं तो एक नौकर हूं और केवल एक घड़ा तोड़ने के कारण मुझे अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘परेशानियों की पोटली’

मैं अपने दूसरे नौकर भाइयों की जान बचाने की कोशिश कर रहा हूं। अगर ये सब घड़े नहीं होंगे तो उन्हें कम से कम घड़े तोड़ने के जुर्म में फांसी तो नहीं होगी।” महाराज को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने फांसी की सजा वहीं रुकवा दी।

क्या सीख मिली (Moral of The story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की यदि हम किसी भी मुसीबत का सामना बिना घबराये मिलकर करते है तो उससे छुटकारा पा सकते है।

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