Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘पांच या छह’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘पांच या छह’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनाली रमन (Tenaliram ) का एक दोस्त था, तिरूमल (Tirumal) वह हंपी में एक सराय का मालिक (Owner) था। वह सराय उसके पिता की थी, इसे ‘दक्कन सूर्यम’ (Deccan Suryam) कहते थे। तिरूमल (Tirumal) को सराय चलाने में बहुत कठिनाई हो रही थी क्योंकि सराय में बहुत कम लोग आते थे और उसका अपना खर्च तक नहीं निकल पा रहा था।

सराय का काम चलाने की हर कोशिश नाकाम हो रही थी। एक दिन, जब वह तेनाली रमन से मिला तो उसने अपनी समस्या रमन को बताई। वह सचमुच बहुत निराश हो गया था और यह सोच रहा था कि अब उसे अपनी सराय बेच देनी चाहिए। सराय बेचने के विचार से ही उसके मन को बहुत दुख होता था। तेनाली ने उसकी सारी बात बहुत आराम से सुनी।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

” मित्र ! मैं लाख चाहने पर भी सराय को नहीं चला पा रहा। ऐसा लगता है कि इसे बेच दूं ताकि परिवार का गुजारा चलाने के लिए कोई और काम शुरू किया जा सके।” उसने कहा । दक्कन सूर्यम “नहीं, तुम्हें इसे बेचने की कोई आवश्यकता नहीं है।” तेनाली बोले। “परंतु मैं इसके साथ अपने परिवार का पेट नहीं भर पा. रहा। समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं?” तिरूमल बोला। “तुम अपनी सराय का नाम बदल दो। तब यह अच्छी तरह चलेगी।” तेनाली बोले।

“नहीं, नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता। यह नाम तो कई सालों से चला आ रहा है। मेरे पिता और उनसे भी पहले, उनके पिता ने इसी नाम से यह सराय चलाई थी। इसे कैसे बदल सकते हैं?” तिरूमल बोला। “तुम्हें सराय से प्यार है या इसके नाम से?” तेनाली ने ” बेशक मुझे सराय से प्यार है। अगर सराय ही न रही तो इसका नाम ले कर क्या करूंगा।” पूछा।

‘बहुत अच्छे। तो तुम अपनी सराय का नाम बदल कर ‘पंच वाणी’ रख दो। इसका मतलब होगा, पांच सुर और इसके बाद सराय के बाहर छह घंटे लटका दो। तुम्हारी सराय चल निकलेगी।” तेनाली ने सलाह दी और वहां चले गए। “पांच सुर और छह घंटे ?” तिरूमल ने सोचा। ये तो कोई तुक नहीं बनी। हालांकि वह इस सलाह को समझ नहीं पा रहा था पर उसने तय किया कि वह तेनाली की सलाह का पालन अवश्य करेगा।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

अगले ही दिन सराय के सामने से निकलने वाले लोगों ने देखा कि सराय का नाम बदल गया था। वहां लिखा था, ‘पंच वाणी’, और वहां छह घंटे लटकाए गए थे। ‘लगता है कि सराय वाला मूर्ख है या अनपढ़ 4 है नाम तो दिया है, ‘पंच वाणी’ और बाहर छह घंटे लटका दिए हैं। मुझे जा कर इसकी भूल सुधारनी चाहिए।” जो भी नाम देखता, वह यही सोचता। फिर वह सराय के भीतर चला जाता।

वह तिरूमल को बताता कि उसने गलती कर दी है। फिर वह कॉफी के साथ कुछ खाने के लिए भी ले लेते। नतीजतन पहले ही दिन सराय में इतने ग्राहक आए जितने पिछले कई महीनों में नहीं आए थे। देखते ही देखते सराय चल निकली। तिरूमल सबकी बात सुनता और चुपचाप मुस्कुरा कर अपना काम करता रहता। वह हमेशा ऐसा ही दिखावा करता मानो उसे पहली बार किसी दूसरे के मुंह से अपनी उस भूल का पता चल रहा हो और फिर वह ग्राहक को धन्यवाद देता कि जैसे उसने उसकी भूल सुधार दी थी।

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अब तिरूमल को समझ आया कि तेनाली की सलाह में कितना दम था। लोगों को दूसरों की भूल सुधारने में बेहद आनंद आता है। वे तिरूमल की गलती सुधारने आते और साथ ही उनका खाना-पीना भी हो जाता। तिरूमल की सराय बिकने से बच गई। उसने घर जाते समय, तेनाली को लाख-लाख दुआएं दीं, जिनके कारण उसके पुरखों की निशानी मिटने से बच गई।

क्या सीख मिली (Moral of The story)

चतुर लोग आमतौर पर बहुत अच्छी समस्या के समाधान निकालने में मदद करते हैं और अच्छे निर्णय लेने में सहायक होते हैं। वे अच्छे सुनने और सीखने वाले होते हैं और दूसरों के विचारों का सम्मान करते हैं।

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