Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘परेशानियों की पोटली’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘परेशानियों की पोटली’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: हंपी का विरूपाक्ष मंदिर (Virupaksha Temple) बहुत मशहूर (very famous) था। तीर्थयात्री (Pilgrim) दूर-दूर से भगवान के दर्शन (To worship God) करने व प्रसाद चढ़ाने (offering prasad) आते थे। मंदिर (Virupaksha Temple) के बाहर छोटी-छोटी दुकानें बनी थीं, जहां दुकानों पर फूल, अगरबत्ती, मिठाइयां, नारियल आदि प्रसाद का सामान मिलता था। एक दुकान पर बूढ़ी अम्मा बैठती थी, जो फूल बेचती थी।

एक दिन चार तीर्थयात्री मंदिर में दर्शन करने के लिए आए। वे किसी सुरक्षित जगह की तलाश में थे। उन्होंने बूढी अम्मा को देखा तो उन्हें लगा कि उस पर भरोसा किया जा सकता है। वे उसके पास गए और नमस्कार कर बोले, “अम्मा, हम यहां परदेसी हैं। हम मंदिर में पूजा करना चाहते हैं। क्या हम अपनी पोटली आपके पास छोड़ कर जा सकते हैं?” अम्मा ने पोटली की सार-संभाल करने की हामी भर दी।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

वे लोग अपनी पोटली वहीं रख कर मंदिर में चले गए। कुछ ही देर बाद, उन चारों में से एक दोस्त आया और अपनी पोटली मांगी। अम्मा ने पूछा, “तुम्हारे बाकी दोस्त नहीं आए ?” “वे दरवाजे पर मेरा इंतजार कर रहे हैं।” उस युवक कहा। अम्मा ने उसे पट पकड़ा दी और वह भीड़ में गुम हो गया। उसके ज के कुछ ही देर बाद तीन दोस्त आ कर बोले, ” हमारी पोटली दे दो।”

“बेटा! वह तो तुम्हारा चौथा दोस्त आ कर ले गया। क्या वह तुम्हें नहीं मिला?” अम्मा बोली। हैं! क्या तुमने उसे पोटली दे दी। हमने तुम पर भरोसा करके अपना सामान रखवाया था। तुमने उसे चोरी करने में मदद की। वह हमारी पोटली ले कर भाग गया।” वे तीनों अम्मा को दोषी ठहराने लगे। अम्मा ने अपनी सफाई दी पर उन्होंने अम्मा की एक भी बात नहीं सुनी। अम्मा रोने लगी। उनके आसपास भीड़ जमा हो गई थी।

किसी ने राय दी कि इस मामले को दरबार में ले जाना चाहिए। अम्मा जोर-जोर से रो रही थी और वे तीनों लड़ने पर उतारू थे। “अरे! ये नवयुवक तो अम्मा से बहुत बदतमीजी से पेश आ रहे हैं। अम्मा बहुत ही ईमानदार है। यह किसी को चोरी करने में मदद नहीं कर सकती। हम इसे कई सालों से जानते हैं।” एक दुकानदार ने कहा एक युवक ने चिल्ला कर कहा । “ये बात है, तो तुम हमारा सामान लौटा दो। और अम्मा का पक्ष लेना बंद करो। ”

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

जब महाराज ने दरबार में सारा मामला सुना तो उन्होंने तेनाली को बुला कर कहा, “तेनाली! अब सारा मामला तुम्हारे हाथ में है। तुम्हें ही देखना है कि इस मामले में सही न्याय हो।”तेनाली ने बूढ़ी अम्मा का विरोध और तीनों युवकों की सारी बात सुनी। वे जान गए कि बूढ़ी अम्मा का इसमें कोई दोष नहीं था। उसने तो उस युवक को ही पोटली दी थी जो सामान रखवाते समय उनके साथ था।

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वे बोले, “अम्मा! बात तो बहुत सीधी सादी है। तुम्हें इनकी पोटली वापिस करनी होगी। नौजवानो! आप जा कर अपने चौथे दोस्त को ले आओ। आप चारों ने ही अम्मा को पोटली दी थी। अब अम्मा पोटली तभी वापिस करेगी, जब आप चारों एक साथ पोटली लेने आएंगे।” यह सुन कर बूढ़ी अम्मा ने चैन की सांस ली और तेनाली को दुआएं देती हुई घर लौट गई। तीनों युवक अपना माथा पीटते हुए वापिस चले गए। तेनाली ने एक पल मैं उनकी कमी को सबके सामने उजागर कर दिया था।

क्या सीख मिली (Moral of The story)

परमेश्‍वर के वचन की गूढ़ सच्चाइयों का मन लगाकर अध्ययन करना निहायत ज़रूरी है। तभी हम ‘अपनी ज्ञानेंद्रियों को भले बुरे में भेद करने के लिये पक्का’ कर सकेंगे। हंसने से दिल का दर्द थोड़ी दे के लिए छिप सकता है, मगर यह मिटता नहीं…..

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