Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘लड़कों का खेल’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘लड़कों का खेल’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: एक बार तेनाली रमन (Tenaliram) ने अपना घर बदला और नए घर में रहने आ गए। यह घर पुराने घर (old house) से बहुत अच्छा था लेकिन यहां एक परेशानी थी कि उस घर के बाहर बच्चे बहुत शोर करते थे। वे कबड्डी, गिल्ली-डंडा इंगोरचाप (Kabaddi, Gilli-Danda Ingorchap) अथवा सिटोलिया आदि खेल खेलते समय बहुत जोर-जोर से शोर (Noise) मचाया करते थे।

इससे तेनाली रमन को आराम करते समय बहुत परेशानी होती थी। वे नए होने के कारण उनसे झगड़ा भी नहीं करना चाहते थे। अत: उन्होंने इस समस्या से निपटने का एक उपाय सोचा। अगले दिन जैसे ही वे बच्चे उनके घर के सामने खेलने आए, तेनाली रमन बाहर निकले और बच्चों से बोले, “नमस्कार, बच्चो! मैं एक कवि हूँ और मेरा नाम तेनाली रमन है। मैं जब भी तुम्हें यहां खेलते हुए देखता हूँ तो मुझे मेरा बचपन याद आ जाता है। तुम हमेशा यहां इसी तरह खेलने आते रहना। मैं इसके बदले में तुम्हें हर सप्ताह दस वराह (सिक्के) दूंगा।”

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

बच्चों ने उनकी ओर देखा और सोचा। दस वराह ! दस सोने के सिक्के! केवल खेल कर दिखाने के लिए इतनी बड़ी रकम ! यह तो बहुत अच्छी बात है। यह सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए। “हम यहीं खेलेंगे ताकि आप हमारा खेल देख कर अपने बचपन की यादें ताजा कर सकें।” बच्चों ने खुश होते हुए कहा । वे वहां खेलते रहे और सप्ताह के अंत में तेनाली रमन ने उन्हें दस-वराह दे दिए।

अगले सप्ताह जब बच्चे वहां खेलने के बाद अपने सिक्के लेने आए तो तेनाली रमन ने अपना उदास चेहरा दिखाते हुए दस की बजाए केवल सात वराह दिए और बताया कि उनके पास इतने ही सिक्के थे। अगले सप्ताह के खेल के बाद, पहले से भी अधिक उदास होते हुए तेनाली रमन ने उन्हें केवल पांच वराह दिए और कहा, “मेरे मालिक ने अभी तक मुझे मेरा वेतन नहीं दिया है।

अतः मैं केवल तुम्हें पांच वराह ही दे सकता हूं।” बच्चे बहुत निराश हो गए। लेकिन उन्होंने पैसे लिए और वहां से चलते बने। लेकिन चौथे सप्ताह के अंत में जब वे तेनाली रमन के पास गए तो बेचारे चौंकने पर मजबूर हो गए। रमन बोले, “इस बार तो मैं केवल तुम्हें दो ही वराह दे सकता हूँ। में बहुत ही मुश्किल में हूं।” तेनाली ने दुःख होने का दिखावा किया।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

लड़कों को बहुत गुस्सा आया कि तेनाली रमन ने उनसे दस वराह प्रति सप्ताह देने का वादा किया था और अब वह केवल उन्हें दो वराह ही दे रहे हैं। “तुम हमें मूर्ख बना रहे हो क्या हम केवल दो वराह के लिए यहां खेलने आएंगे? नहीं। कभी नहीं, हम यहां नहीं खेलेंगे। हम अपने खेल के लिए कोई और जगह तलाश लेंगे पर इतने कम सिक्कों के बदले आपको अपना खेल नहीं देखने देंगे।” लड़कों ने गुस्से से कहा और वहां से चलते बने।

तेनाली लड़कों को जाते हुए देखते रहे और फिर उन्होंने चैन की सांस ली। अब कम से कम वे चैन की नींद ले सकते थे और मन की शांति पा सकते थे। उन्होंने बड़े प्यार से बरामदे में कुर्सी डाली और आराम करने लगे। तेनाली की चतुराई का कोई मुकाबला नहीं।

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘वासु की शांति’

क्या सीख मिली (Moral of The story)

चालाक इंसान की इज्जत हर एक जगह पर होती है। चतुर और चालाक व्यक्ति हमेशा आगे बढ़ता है। चालाक इंसान खुद को रोज से अच्छा करता है। समय के साथ ही साथ चालाकी की मांग जीवन में बढ़ती जाती है। इसलिए जीवन में इंसान को चालाक होना चाहिए ताकी समाज में वह सिर उठाकर आगे बढ़ सके।

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