Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘मां काली का आशीर्वाद’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनाली रमन (Tenali Raman) बहुत छोटे थे तभी उनके पिता चल बसे। उन्हें बचपन में किसी पाठशाला में जाने का अवसर नहीं मिला। वे बहुत नटखट (Naughty) थे और उनकी शरारतों के कारण उनकी मां अक्सर परेशान रहती थी। फिर एक दिन उन्हें एक ज्ञानी संत मिले। उन्होंने तेनालीरामन (Tenali Raman) को एक मंत्र दिया और कहा कि वो रोजाना काली मां (kaali maa) की प्रार्थना (Prayer) किया करें। तेनाली रमन (Tenali Raman) के पास ही के बने काली मंदिर गए और संत के कहे अनुसार मंत्र का एक लाख बार जाप किया।

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

मंत्र जाप पूरा होते ही, काली मां ने अपने सौ सिरों के साथ भयंकर रूप में उन्हें दर्शन दिए। काली मां को इस प्रकार अपने सामने देख तेनाली रमन घबराने की बजाए जोर जोर से हंसने लगे। काली मां ने उनसे उनके हंसने का कारण पूछा। वे बोले, मां मेरी एक नाक है और मुझे जब भी जुकाम हो जाता है तो मुझे बहुत मुश्किल होती है लेकिन जब आपको जुकाम होता है तो आप क्या करती है ? इतने सारे सिर और केवल दो हाथ।

‘मां काली का आशीर्वाद’ (Tenaliram Ki Kahaniyan)

मां काली तेनाली के इस हसमुख स्वभाव से बहुत प्रसन्न हुईं। वे बोलीं तुम अपने चुलबुले स्वभाव के कारण विकट कवि के रूप में जाने जाओगे। मैं तुम्हें वरदान देती हूं कि तुम्हारी बातें लोगों का मनोरंजन करेंगी। धन्यवाद मां। यह एक अच्छा नाम है। यह आरंभ से ले कर अंत तक, एक जैसा बोला जा सकता जैसे कि वि-क-ट-क-वि। लेकिन इससे मुझे क्या लाभ होगा?”

Tenaliram Ki Kahaniyan
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“ठीक है। मैं तुम्हें एक और वरदान देती मेरे पास यह दो कटोरे हैं। एक कटोरे में विद्या और दूसरे में धन हैं। दोनों में से कोई एक कटोरा चुन लो।” काली मां ने तेनाली रमन को दोनों कटोरे दिखाते हुए कहा। अब तेनाली सोचने लगा कि उसे काली मां के कौन से वरदान को चुनना चाहिए। जीवन में तो ज्ञान और धन दोनों की ही जरूरत होती है। केवल एक वरदान लेने से तो बात नहीं बनेगी। उसने कुछ सोच कर काली मां से कहा, “मां। क्या मैं इन्हें लेने से पहले चख कर देख सकता हूं? बिना चखे मैं कैसे बता सकता हूं कि मुझे कौन सा कटोरा चाहिए?”

“तुम ठीक कहते हो, लो, चख कर देखो।” काली मां बोलीं । तेनाली रमन ने तुरंत ही दोनों कटोरों को मुंह से लगाया और तेजी गटक गए। काली मां तुरंत ही समझ गई कि तेनालीरमन ने उन्हें अपनी बा के जाल में उलझा कर दोनों ही वरदान ले लिए थे। मुझे क्षमा कर दो मां। मुझे जीने के लिए विद्या और धन दोनों ही चाहिए थे। एक के बिना दूसरा भी अधूरा है इसलिए मैंने दोनों को ले लिया है। क्या आपको लगता है कि मैंने कुछ गलत किया?” तेनाली काली मां की ओर देखने लगे और मां उनकी चतुराई पर हंसने लगीं।

तुम्हें वह सब मिलेगा रमन। लेकिन याद रखना कि तुम्हारे पास इन दोनों वरदानों के कारण मित्र और शत्रु भी अधिक संख्या में होंगे। इसलिए थोड़ा होशियार। रहना और मेरे दिए हुए वरदानों का होशियारी से इस्तेमाल करना।” इतना कह कर काली मां गायब हो गईं। आगे चल कर तेनाली रमन महाराज कृष्णराय के दरबार में एक हाजिरजवाब दरबारी के रूप में जाने गए।

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘उबासी की सजा’

उन्होंने अपनी हाजिरजवाबी और बुद्धिमत्ता के बल पर महाराज कृष्ण देव राय का प्रिय मंत्री बनने का सौभाग्य पाया। महाराज उन्हें अपने मित्र की तरह स्नेह व आदर देते थे। इस तरह उन्हें भरपूर धन-संपदा भी मिली और जैसा कि मां काली का वरदान था, उनके मित्रों और शत्रुओं की संख्या भी कभी कम नहीं रही। तेनालीराम ने अपनी चतुराई से लोगों के दिलों में एक अलग जगह बनाने में सफलता हासिल की।

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