Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘लंबी आयु देने वाला फल’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘लंबी आयु देने वाला फल’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: विजयनगर (Vijaynagar) एक संपन्न राज्य था। इसके व्यापारी पुर्तगाल, चीन, श्रीलंका (Traders Portugal, China, Sri Lanka) व मध्य एशिया आदि देशों से व्यापार (Business) करते थे। व्यापार और वाणिज्य (Commerce) दूर- तक फैला था और राज्य में धन की कमी नहीं थी। महाराज और दूसरे देश के राजाओं के बीच महंगे उपहारों का आदान-प्रदान होता रहता था।

एक बार राजा कृष्ण देव राय को चीन के सम्राट की ओर से आडु के फलों का टोकरा उपहार में भेजा गया। यह फल विजयनगर में नहीं उगता था। सम्राट ने संदेश में कहलवाया था कि वह फल बहुत ही दुर्लभ गुण वाला होता है। यह लंबी आयु प्रदान करने वाला फल है। महाराज के सामने बड़े से बक्से में से फल निकाले गए। फलों के बक्स देख कर सबके मुंह में पानी आ रहा था।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

उनमें चमचमाते फल खुद ही बता रहे थे कि वे कितने रसीले होंगे। सभी उन आडुओं को ललचाई नजरों से ताक रहे थे और उनका स्वाद लेना चाहते थे पर यह संभव नहीं था। वह उपहार तो राजा के लिए था। जब तक महाराज उसे चख न लें, तब तक कोई उन्हें छू भी नहीं सकता था। तेनाली रमन भी फल के आदू से बच नहीं सके। फल को चखने की इच्छा में वे यह भी भूल गये कि वे फल तो पहले महाराज ने चखने थे।

वे आगे आए और एक फल उठा कर तपाक से मुंह में रख लिया। फल का रस उनके मुंह में फूलने लगा। दरबारियों ने हैरानी से तेनाली को देखा और फिर महाराज को देखा, जिनका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। अब तो सबको यकीन हो गया कि. तेनाली के सिर पर मुसीबत आने वाली है, बड़ी भारी मुसीबत! तेनाली रमन।” महाराज गरजे और अचानक तेनाली को एहसास हुआ कि वे यह क्या कर बैठे।

उनका यह अपराध माफ करने लायक नहीं था। यह तो महाराज के लिए उपहार था। वे उसे महाराज के चखने से पहले ही उठा कर खा गए। इससे भी बदतर बात यह रही कि उन्होंने उस फल को खाने के लिए महाराज से इजाजत तक नहीं ली। वे तो सचमुच बड़ी परेशानी में फंसने जा रहे थे। उन्होंने शर्मसार हो कर अपना सिर झुकाया और चुपचाप खड़े हो गए।

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

महाराज आग उगल रहे थे, “रमन, तुमने मेरे उपहार को छूने का साहस कैसे किया? मैं ऐसे बर्ताव को क्षमा नहीं कर सकता। सैनिको! इसे यहां से ले जाओ और मौत के घाट उतार दो।” सिपाहियों ने उसी समय तेनाली को बंदी बना लिया। तेनाली को झट से कोई न कोई उपाय करना था ताकि अपनी जान बचाई जा सके। वे जोर-जोर से रोने लगे, “चीन का सम्राट झूठ बोलता है।

उसने कहा है कि इस फल को खाने से आयु लंबी होती है। मैंने तो एक ही टुकड़ा खाया था और मेरी मौत का फरमान आ गया। महाराज! विनती करता हूं, आप इस फल को कभी मत खाना।” यह सुन कर महाराज की हंसी छूट गई और उन्होंने सिपाहियों से कहा कि वे तेनाली को छोड़ दें।तेनाली बोले, “महाराज ! दरअसल इस फल का स्वाद और खुशबू इतने अच्छे हैं कि इसे देख कर रहा नहीं गया।

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘वासु की शांति’

वैसे तो मैं आपके दरबार के सभी अदब और कायदे जानता हूं और महाराज की शान में गुस्ताखी करने के बारे में सोच भी नहीं सकता किंतु आज इन फलों को देख मेरा ईमान भी डोल गया और मैं ऐसी भूल कर बैठा। बेशक इन फलों पर आपका अधिकार है। हम आम लोग हैं, हमारे भाग्य में ऐसे दुर्लभ फलों के स्वाद नहीं होता। “महाराज को अपनी भूल का एहसास हुआ। जब उन्हें कोई बात समझ आ जाती थी तो वे अपनी भूल सुधारने में देर नहीं लगाते थे। वे बोले, “तेनाली! हमारे साथ तुम सब लोग भी खास हो। हम सब मिल कर इन फलों का स्वाद लेंगे।” फिर महाराज ने सभी दरबारियों के साथ मिल कर फलों का स्वाद लिया।

क्या सीख मिली (Moral of The story)

अविश्‍वासी को इस बात की फिक्र नहीं रहती कि उसे परमेश्‍वर को लेखा देना पड़ेगा। इसलिए उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह जो कर रहा है, वह यहोवा की नज़र में सही है या गलत।

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