Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘एक निराला पक्षी’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘एक निराला पक्षी’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: महाराज कृष्णदेव राय सुंदर पक्षियों व पशुओं के बेहद शौकीन थे। उन्हें महल में अपने पालतू जानवरों के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता था। उनकी प्रजा भी अच्छी तरह जानती थी कि महाराज को पशु-पक्षियों से बेहद लगाव है। अक्सर लोग तरह-तरह के पशु-पक्षी उनके पास लाया करते और महाराज उन्हें मुंहमांगे दामों पर खरीद लेते। इस तरह उनके महल में एक छोटा सा चिड़ियाघर ही तैयार हो गया था। जहां अपने राज्य के अलावा दूसरे राज्यों से मंगवाए गए पशु-पक्षी भी रखे गए थे।

एक दिन, एक दरबान ने दरबार में आ कर सूचना दी कि क बहेलिया महाराज के लिए अनूठा पक्षी लाया है। बहेलिए ने महाराज के आगे सिर झुका कर कहा, “महाराज, मैं घने वन से आपके लिए यह पक्षी पकड़ कर लाया हूं।” महाराज ने पूछा, ” इस पक्षी की क्या खूबी है?” “महाराज, यह बुलबुल की तरह गा सकता है, एक तोते की तरह बोल सकता है और मोर की तरह नृत्य कर सकता है।

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तेनालीराम और ‘एक निराला पक्षी’

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इस एक पक्षी में बहुत सारे पक्षियों की खूबियां समाई हैं।” बहेलिए ने कहा “वाह! कितना अद्भुत पक्षी है। मैंने तो आज तक इतना रंगीन और निराला पक्षी नहीं देखा।” महाराज ने पक्षी को प्रशंसा भरी निगाहों से देखते हुए कहा। तुम्हारा कहना है कि खूबसूरत होने के अलावा, यह पक्षी ये सब काम भी कर सकता है।” “जी महाराज! बेशक कर सकता है। आप आजमा कर देख लीजिए। ” बहेलिए ने कहा।

“महाराज! एक पल के लिए ठहरें। इस पक्षी के पंखों पर धूल लग रही है। इससे पहले कि आप इसे हाथ लगाएं। हमें इसे साफ करना होगा। ” तेनाली रमन ने कहा। वे एक सहायक की ओर मुड़े और उसे पानी से भरा कटोरा लाने को कहा। सहायक झट से आदेश पूरा करने भागा। जब वह पानी ले आया तो तेनाली रमन ने उससे पानी ले कर पक्षी पर छींटे मारे। एक ही पल में वह कई रंगों वाला पक्षी एक गीले व असहाय से दिखने वाले कबूतर के रूप में सामने था।

बहेलिए ने पिंजरा छोड़ा और दोनों हाथ जोड़ कर वहीं गिर गया और क्षमा मांगने लगा। उसका झूठ पकड़ा गया था। वह भरे दरबार में महाराज को छलने आया था पर तेनाली ने उसकी दाल नहीं गलने दी। महाराज भी बहुत चकित हो गए। सारे दरबारी व सहायक भी हैरानी से देख रहे थे कि यह हो क्या रहा था। महाराज ने चकित भाव से रमन से पूछा, “तेनाली! तुमने यह अंदाजा कैसे लगा लिया कि वह पक्षी एक धोखा था?”

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तेनालीराम और ‘एक निराला पक्षी’

“महाराज! आप बहेलिए के हाथों को ध्यान से देखें। इसके हाथों व नाखूनों पर वही रंग लगा हुआ है, जो रंग पक्षी पर लगा था। तभी मुझे थोड़ा संदेह हुआ। ज्यों ही मैंने पक्षी पर पानी डाला तो उस पर किया गया सारा रंग उतर गया।” तेनाली रमन ने कहा। महाराज को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने बहेलिए को कैद में डालने का आदेश दे दिया। दरबान उसे वहां से घसीट कर ले गया और कैद में डाल दिया। बाद में पता चला कि तेनाली रमन ने गरीब बहेलिए के परिवार को देखते हुए, महाराजा से अपील करके उसे छुड़वा दिया।

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तेनाली रमन ने महाराज से कहा, “महाराज! बहेलिए का परिवार बहुत गरीब है। उनके पास दो वक्त की रोटी का भी प्रबंध नहीं है। शायद इसी मजबूरी के कारण वह आपसे छल करने आया होगा। मैं आपसे विनती करता हूं कि बहेलिए को छोड़ दिया जाए वरना उसका परिवार भूखों मर जाएगा।” महाराज बोले, “तेनाली रमन तुम बहुत दयालु हो। तुम्हारी दयालुता को देखते हुए मैं उस बहेलिए को आजाद करता हूं।”

क्या सीख मिली (Moral of The story)

अगर जीवन मे कुछ भी सीखना चाहते है, प्रेरणा लेना चाहते है, तो छोटी से छोटी चीजों जैसे सुई से भी सीख ले सकते है।

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