Tenaliram Ki Kahaniyan: कृष्णदेव राय अपने राज्य के दौरे पर जाया करते ताकि यह देख सकें। कि राज काज सही तरह से चल रहा है या नहीं। अक्सर तेनाली रमन भी उनके साथ ही होते। एक बार वे बीजापुर की यात्रा पर निकले तो उन्होंने देखा कि एक धनी जमींदार के यहां विवाह का आयोजन था। विवाह की ” तेनाली इस विवाह पर धूमधाम और गाजे-बाजे देख कर लग रहा था कि उस व्यक्ति ने काफी पैसा खर्च किया होगा। महाराज ने तेनाली रमन से पूछा, कितना खर्च हुआ होगा?”
तेनाली रमन ने कुछ सोचने के बाद कहा, “महाराज, उथन अंदाजन तीन बोरे चावल और दो बोरी गेहूं जितना खर्च किया है। इस विवाह पर केवल इतना ही खर्च हुआ है। इससे ज्यादा नहीं लगा होगा। महाराज ने उसे हैरानी से देखा, “रमन तुम्हारा दिमाग चकरा गया है। जरा देखो तो सही कि कितने मेहमान आए हुए हैं और कितने भव्य प्रबंध किए गए हैं। इस व्यक्ति ने बहुत पैसा लगाया होगा। तुम केवल चावल और गेहूं के बोरों से ही शादी का अंदाजा लगा रहे हो।”
Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनाली रमन कुछ नहीं बोले और वे आगे चल दिए। कुछ सप्ताह बाद, दूसरी यात्रा के दौरान तेनाली ने सामने से आती हुई शवयात्रा देखी । तेनाली आगे जा कर बोले, “तुम एक ही शव ले जा रहे हो या और भी शव हैं?” महाराज तेनाली रमन के मुंह से ऐसी बात सुन कर चौंक गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि समझदार तेनाली रमन किसी की मृत्यु के समय ऐसी ओछी और नीच बात कैसे कर सकते थे। वे झट से घोड़े को चाबुक मार कर आगे निकल गए।
जब वे कुछ दूरी पर गए तो किसानों को धान के खेत में काम करते पाया। यहां भी तेनाली ने अपने प्रश्न से महाराज को चौंका दिया। उन्होंने किसानों से पूछा, “तुम लोग इस साल की फसल काट रहे हो या पिछले साल की फसल काट रहे हों?”जब वे हंपी जाने लगे तो महाराज ने सोचा, तेनाली रमन को कुछ हो गया है। वे तो अपनी चतुराई और अक्लमंदी के लिए जाने जाते हैं पर वे इस तरह मूर्खतापूर्ण प्रश्न क्यों पूछ रहे हैं। मुझे दूसरे अक्लमंद लोगों से इन प्रश्नों के बारे में पूछना चाहिए कि इन बातों का क्या अर्थ निकलता है।
महाराज के दरबार में जो ‘अष्टदिग्गज’ थे, वे भी इन प्रश्नों का कोई जवाब नहीं दे सके। अंत में महाराज ने तेनाली से ही पूछ लिया, “रमन, तुमने उन लोगों से यह क्यों पूछा कि वे एक शव ले जा रहे थे या और शव भी थे? भला शवयात्रा में कोई ऐसे सवाल पूछता है?”महाराज! कई बार किसी एक मौत से बहुत से लोगों का जीवन प्रभावित होता और कई बार किसी की मौत से दूसरों को कोई हानि नहीं होती। मैं उनसे यह पूछ रहा था कि उस मौत के कारण कितने लोगों पर असर पड़ेगा?”
“ और उन किसानों वाली बात, कि फसल इस साल की है या पिछले साल की हैं? इस बात का क्या मतलब था?” मुझे तो कुछ समझ नहीं आया। “महाराज, किसान हमेशा उधार के साथ जीता है। उनकी सारी कमाई उधार चुकाने में ही निकल जाती है इसलिए मैं पूछ रहा था कि वे पिछले साल का उधार चुका रहे हैं या यह इस साल की कमाई है।”
Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘बर्तनों के बच्चे’
“यह तो ठीक है, परंतु तुमने इतनी आलीशान शादी को देख कर उसके खर्च का सही अनुमान क्यों नही लगाया?” “महाराज ! उस समारोह में विवाह का खर्च तो कम ही था। जमींदार ने लोगों को अपना धन व रुतबा दिखाने के लिए खर्च किया था।” तेनाली ने स्पष्ट किया। महाराज उनके उत्तर सुन कर प्रभावित हो गए।
क्या सीख मिली (Moral of The story)
इस कहानी से हमे सीख मिलती है कि किसी भी चीज का अनुमान पहले से नहीं लगाना चाहिए।