Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम और ‘सुनार-रसोइया’

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘सुनार-रसोइया’

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Tenaliram Ki Kahaniyan: राजा कृष्णदेव राय (Raja Krishnadev Rai) के दरबार (the court) में प्रतिभा (Talent) को पूरा सम्मान (Respect) मिलता था। अगर उन्हें किसी भी क्षेत्र में कोई महान कलाकार (great artist) मिलता तो वे उसे अपन दरबार (the court) में जरूर बुलाते थे। उसकी कला (Art) के प्रदर्शन के बाद उचित पुरस्कार (award) भी दिए जाते। एक बार उन्हें एक महान चित्रकार (great painter) अच्युत राव के बारे में पता चला।

महाराज ने उसे दरबार में आने का निमंत्रण दिया। वे चाहते थे कि अच्युत उनका एक चित्र बनाए । चित्रकार ने बहुत सुंदर चित्र बनाया। महाराज भी उसे देख कर बहुत प्रभावित हुए। वे उसे खास इनाम देना चाहते थे। वे चाहते थे कि सारी प्रजा अच्युत राव को जाने और उनका सम्मान करे। उन्होंने कुछ देर सोचने के बाद कहा, “मैं अच्युत राव को अपना मुख्यमंत्री नियुक्त करता हूं।”

Tenaliram Ki Kahaniyan
तेनालीराम की कहानियां

तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)

यह सुन कर सभी दंग रह गए परंतु महाराज के खिलाफ बोलने का साहस कौन कर सकता था? अब अच्युत राव राज्य के नए मुख्यमंत्री थे। वे एक अच्छे कलाकार थे पर उनके पास राजकाज चलाने का कोई अनुभव नहीं था। कुछ ही दिन में उन्होंने राजकाज से जुड़े मामलों को पूरी तरह उलझा दिया। दूसरे मंत्री और पूजा भी उनके बिगाड़े हुए कामों से तंग आ गए।

पर वे सब महाराज की ओर से नियुक्त किए गए मुख्यमंत्री के खिलाफ कैसे बोल सकते थे। हमेशा की तरह उन्होंने तेनाली रमन की मदद ली। तेनाली रमन बोले, “आप लोग चिंता न करें। मैं जल्दी ही इस समस्या का हल निकाल लूंगा।” कुछ दिन बाद तेनाली रमन ने महाराज व दरबारियों को अपने घर में दावत का न्यौता दिया। महाराज अपनी रानी और सभी दरबारियों सहित आए।

खाना बहुत अच्छा लग रहा था। उसे शहर के बड़े सुनारों में से एक सुनार ने तैयार किया था। वह भी खाना परोसने के लिए मौजदू था। बड़ी धूमधाम के साथ दावत का आरंभ हुआ पर ज्यों ही मेहमानों ने भोजन खाना आरंभ किया, उनके चेहरे देखने लायक थे। खाना बहुत ही बकवास बना था। हर व्यंजन में बहुत तेज नमक और मिर्च डाले गए थे। महाराज को बहुत बुरा लगा। वे गुस्से में चिल्ला कर बोले, “तेनाली रमन !

तुम इसे दावत कहते हो? क्या तुमने हमारा अपमान करने के लिए हमें यहां बुलाया है?” “नहीं महाराज! क्या खाना अच्छा नहीं बना? मुझे तो लगा कि मैं आपके ही कदमों पर चलूंगा।” तेनाली बोले । महाराज चिल्लाए, तेनाली साफ शब्दों में कहो कि क्या कहना चाहते हो?” “महाराज! जब मैंने यह देखा कि आपने एक महान चित्रकार को पुरस्कार स्वरूप मुख्यमंत्री बना दिया तो मैंने तय किया कि मुझे भी अपने शहर के इस कारीगर सुनार को कोई इनाम देना चाहिए।

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तेनालीराम की कहानियां

इसने मेरी पत्नी के लिए बहुत सुंदर आभूषण तैयार किए हैं। आपको देख कर ही मैंने इसे अपने घर का प्रमुख रसोइया नियुक्त कर दिया।” तेनाली राम बोले। महाराज ने भले ही भूल की थी परंतु वे इतने मूर्ख न थे कि तेनाली की बात को समझ न पाते। वे बोले, “तेनाली रमन, तुम अपनी हरकतों में बाज नहीं आते। एक दिन ऐसी सजा दूंगा कि याद रखोगे।”

Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘परेशानियों की पोटली’

उनकी आंखों में एक अलग सी चमक थी। तेनाली हाथ जोड़ कर मुस्कुराने लगे तो महाराज बोले, “मैं तुम्हारी बात का मतलब समझ गया। एक चित्रकार को केवल चित्र ही बनाने चाहिए और कल से वे यही करेंगे।” “भगवान के लिए तुम भी इस सुनार को रसोइए के पद से मुक्त कर दो ताकि यह अपना आभूषण बनाने का काम कर सके।” महाराज वापिस लौट गए और सभी दरबारियों ने तेनाली रमन को अकेले में धन्यवाद दिया।

क्या सीख मिली (Moral of The story)

हमें कभी भी कठिन परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए।

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