Tenaliram Ki Kahaniyan: मुर्गे (chickens) की एक दुकान (Shop) के बाहर भारी भीड़ (Crowd) लगी थी। वहां से शोर (Noise) दे रहा था। तेनाली रमन (Tenaliram) भी वहीं से निकल रहे थे। उन्हें लगा कि शायद लोग आपस में झगड़ रहे थे। उन्होंने सोचा कि वे भी देखें कि कहीं किसी को मदद की जरूरत तो नहीं है। दुकान का मालिक एक गरीब किसान पर चिल्ला रहा था। जिसके कारण उसका चूजा मारा गया। किसान लगातार एक ही बात दोहरा रहा था, “ श्रीमान मैंने जान बूझ कर कुछ नहीं किया। यह एक दुर्घटना थी । ”
तेनाली रमन ने किसी से पूछा तो पता चला कि किसान अपने सिर पर भारी बोझ लाद कर आ रहा था। अचानक उसका पांव फिसला और बोरी एक मुर्गे के बच्चे पर जा गिरी। उसके नीचे दबने से चूजा मारा गया। अब मालिक चूजे के लिए किसान से पचास वराह (सिक्के) मांग रहा था। किसान ने कहा, “श्रीमान् ! उस चूजे की कीमत तो पांच वराह थी।” “दो ही साल में मेरा चूजा एक सुंदर पक्षी बन जाता। फिर वह पचास वराह में बिकता। तुमने उसे मार डाला।” दुकान का मालिक चिल्लाया और किसान को गर्दन से पकड़ लिया।
तेनालीराम की कहानियां (Tenaliram Ki Kahaniyan)
अचानक भीड़ में किसी ने तेनाली रमन को पहचान लिया। उसने उन्हें आगे आने का स्थान दिया और उनसे आग्रह किया कि वे उन दोनों का झगड़ा निपटा दें। तेनाली आगे आए तो उन दोनों ने अपनी बात उनके आगे रखी। ” मेरे हिसाब से तो किसान को पचास वराह देने चाहिए। जो भी हो, किसान की लापरवाही के कारण ही चूजे की जान गई है।” तेनाली बोले। यह सुन कर दुकान के मालिक की खुशी का ठिकाना न रहा।
बैठे-बिठाए एक चूजे के लिए पचास वराह मिलने जा रहे थे। बेचारे किसान की हालत देखने लायक थी। सारी भीड़ भी यह देख कर हैरान थी कि तेनाली रमन ने यह कैसा न्याय किया है। वे सोच रहे थे कि तेनाली ने ऐसा अन्याय क्यों किया? तभी तेनाली दुकान के मालिक से बोले, “अभी मेरी बात समाप्त नहीं हुई। तुम्हारा चूजा एक साल में कितना अनाज खा लेता?” ” जी श्रीमान, लगभग आधा बोरा तो खा ही लेता। ” दुकान के मालिक ने कहा
“हम्म !! इसका मतलब हुआ कि दो साल में तुम्हारा चूजा कम से कम एक बोरा अनाज तो खा ही लेता। तब तो तुम्हें इस किसान को एक बोरा अनाज के पैसे देने चाहिए। इसके कारण चूजा मर गया और तुम्हारे अनाज की बचत हो गई। यह तुम्हें उस चूजे के लिए पचास वराह दे देगा। ”
दुकान के मालिक के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई। एक बोरा अनाव बेशक उसकी कीमत पचास वराह से कहीं ज्यादा थी लेकिन वह जानता था तेनाली ने उसकी चाल नाकाम कर दी थी।
भीड़ बहुत खुश हो गई। यह असली न्याय हुआ था। किसान ने की कीमत के पचास वराह दिए और दुकान के मालिक ने कोई बहस किए बिना न्याय को मान लिया। तेनाली अपना काम निपटाने के बाद दरबार को ओर चल दिए। सारी भीड़ वाह-वाह कर उठी। तेनाली ने एक ही पल में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया था। किसान ने उन्हें मन ही मन बहुत धन्यवाद दिया। अगर तेनाली उनके मामले को न निपटाते तो निश्चित रूप से किसान दुकान के मालिक की चालबाजी का शिकार हो जाता।
Tenaliram Ki Kahaniyan: तेनालीराम और ‘वासु की शांति’
क्या सीख मिली (Moral of The story)
बुद्धिमान डरकर बुराई से हटता है, परन्तु मूर्ख ढीठ होकर निडर रहता है। जो झट क्रोध करे, वह मूढ़ता का काम भी करेगा, और जो बुरी युक्तियां निकालता है